दैनिक समसामयिकी

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24 July 2017(Monday)

1.निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की होगी मंत्रलयों में नियुक्ति

• केंद्र सरकार ने चुनिंदा क्षेत्रों में अचूक और उपयुक्त नीति बनाने के लिए निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की नियुक्ति की योजना बनाई है। सरकार को अहसास हो गया है कि जटिल अर्थव्यवस्था की दूरगामी योजनाओं के लिए निजी क्षेत्र के विशेषज्ञ बेहतर रहेंगे।
• यह नियुक्तियां विभागों में पहले से खाली पदों पर होंगी। इस तरह देश के सरकारी महकमों में निजी क्षेत्र के लोग सीधे तौर पर दाखिल होंगे।
• कार्मिक विभाग के एक अधिकारी के अनुसार सरकारी नीतियों के निर्माता नीति आयोग ने यह प्रस्ताव रखा है। इस संबंध में कुछ दिन पहले कार्मिक विभाग एक विस्तृत प्रजेंटेशन भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिखाया जा चुका है।
• 1विभागीय सूत्रों के अनुसार, विभिन्न सरकारी विभागों में निजी क्षेत्र के 50 विशेषज्ञों की नियुक्ति करने का प्रस्ताव है। यह नियुक्तियां निदेशक या संयुक्त सचिव के स्तर की होंगी। इन पदों पर ज्यादातर सिविल सेवा के अधिकारी तैनात होते हैं। लेकिन इनकी जगह अब अच्छे और प्रभावशाली सुशासन के लिए कांट्रैक्ट पर निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को नौकरियां दी जाएंगी।
• नवीनतम आंकड़ों के अनुसार केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में 48 लाख कर्मचारी काम करते हैं। विगत एक मार्च, 2015 को 4.2 लाख पद रिक्त थे।
• सिविल सर्विसेज में सुधार पर नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी क्षेत्र के विशेषज्ञ अर्थव्यवस्था की बढ़ती जटिलता को बेहतर परख सकेंगे। चूंकि नीति निर्माण अब विशेषज्ञता वाली गतिविधि बन गई है इसलिए यह जरूरी हो गया है कि पीछे के दरवाजे से निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को इसमें शामिल किया जाए।
• इतना ही नहीं, इन नियुक्तियों से पहले से स्थापित नौकरशाही में भी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। इसका सरकार को दोहरा लाभ मिलेगा।
• नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक तय वेतन और अवधि के लिए नियुक्त निजी क्षेत्र के यह अधिकारी मंत्रलयों में निचले स्टाफ को भी ऊर्जा से भर देंगे। हालांकि सरकार पहले से ही कुछ मंत्रलयों में निजी विशेषज्ञों को नियुक्त करती रही है।
• पिछले महीने ही आयुर्वेद के विद्वान वैद्य राजेश कोटेचा को आयुष मंत्रलय में विशेष सचिव के पद पर नियुक्त किया गया है। पिछले साल पूर्व आइएएस और स्वच्छता विशेषज्ञ परमेश्वरन अय्यर को पेयजल और स्वच्छता विभाग में सचिव नियुक्त किया गया था।
• आइएएस के पद से सेवानिवृत्ति लेने वाले अय्यर को दो साल के कांट्रैक्ट पर नियुक्त किया गया था।

2. विदाई भाषण में प्रणब मुखर्जी दे गए सत्तापक्ष-विपक्ष को नसीहत : अध्यादेश की राह से बचे सरकार

• राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संसद में अपने आखिरी भाषण के दौरान सरकार को अध्यादेश लाने से बचने की नसीहत देने में हिचक नहीं दिखाई। उन्होंने कहा कि केवल बेहद जरूरी परिस्थितियों में ही अध्यादेश लाया जाना चाहिए। इतना ही नहीं, वित्तीय मामलों में तो अध्यादेश का रास्ता बिल्कुल नहीं अपनाना चाहिए।
• राष्ट्रपति ने संसद में बिना चर्चा के ही विधेयक पारित करने पर चिंता जताते हुए कहा कि यह जनता काविश्वास तोड़ता है। वहीं हंगामे के कारण संसद के बाधित होने पर भी मुखर्जी ने बेबाक राय जाहिर करते हुए कहा कि इसकी वजह से सरकार से ज्यादा नुकसान विपक्ष का होता है।
• रविवार को संसद के केंद्रीय कक्ष में भावपूर्ण विदाई समारोह के दौरान प्रणब मुखर्जी ने कहा कि संसद का सत्र नहीं चलने के दौरान तात्कालिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कार्यपालिका को अध्यादेशों के जरिये कानून बनाने के असाधारण अधिकार दिए गए हैं। मगर उनका दृढ़ मत है कि अध्यादेश केवल बाध्यकारी परिस्थितियों में ही लाया जाना चाहिए।
• खासकर उन विषयों पर तो अध्यादेश बिल्कुल नहीं लाना चाहिए जिन पर संसद या संसदीय समिति विचार कर रही हो या जिन्हें संसद में पेश किया गया हो।
• उन्होंने बिना चर्चा के विधेयक पारित होने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने की सलाह दी। कहा कि जब संसद कानून निर्माण की अपनी भूमिका निभाने में विफल हो जाती है या बिना चर्चा के कानून लागू करती है तो वह जनता द्वारा व्यक्त विश्वास को तोड़ती है। कानून बनाने से पहले व्यापक चर्चा होनी ही चाहिए।
• उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष की बेंचों पर बैठकर बहस, परिचर्चा और असहमति के महत्व को उन्होंने बखूबी समझा है। इस अनुभव के आधार पर उनका साफ मानना है कि संसद में हंगामे से विपक्ष का ज्यादा नुकसान होता है क्योंकि इससे वह लोगों की चिंताओं को स्वर देने का अवसर खो देता है।
• जीएसटी संघवाद का शानदार उदाहरण : मुखर्जी ने जीएसटी कानून के संसद और विधानसभाओं से पारित होने को सहकारी संघवाद का शानदार उदाहरण बताया। कहा कि यह हमारी संसद की परिपक्वता को जाहिर करता है।
• मोदी को सराहा : प्रणब ने राष्ट्रपति के रूप में शपथ को याद करते हुए कहा कि पांच वर्षों में इसकी मूल भावना के साथ संविधान के संरक्षण और सुरक्षा का प्रयास किया। इस कार्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह और सहयोग का उल्लेख करना वह नहीं भूले और कहा कि इसका उन्हें काफी लाभ मिला।
• संसदीय लोकतंत्र की देन हूं : इस मुकाम पर पहुंचने के लिए उन्होंने पूरा श्रेय संसदीय लोकतंत्र को दिया। कहा कि वास्तव में वह इस संसद की एक कृति और ऐसे व्यक्ति हैं जिसके राजनीतिक दृष्टिकोण और व्यक्तित्व को लोकतंत्र के इस मंदिर ने गढ़ा है।
• उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के तौर पर सेवामुक्त होने के साथ ही वे संसद का हिस्सा नहीं रहेंगे मगर उदासी के भाव और रंग-बिरंगी स्मृतियों के साथ वे इस भव्य भवन से प्रस्थान कर रहे हैं।
• लोस अध्यक्ष ने पढ़ा अभिनंदन पत्र : प्रणब के इस विदाई भाषण से पहले लोकसभा स्पीकर सुमित्र महाजन ने सभी सांसदों की ओर से अभिनंदन पत्र पढ़ा। इसमें उनके शानदार राजनीतिक जीवन, प्रशासनिक योगदान और संसदीय जीवन में गुरु की भूमिका निभाने का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति के रूप में संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने के अमूल्य योगदान की सराहना की गई।
• अंसारी ने किया योगदान का जिक्र : उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने इस मौके पर कहा कि देश के शासन में प्रणब दा के अमूल्य योगदानों का जिक्र किए बिना उनका अभिनंदन अधूरा होगा। इस क्रम में राज्यपालों के लिए मुखर्जी की ओर से पिछले हफ्ते आयोजित विदाई भोज में उन्हें दी गई नसीहत का जिक्र किया।

3. देश में 10 सालों के दौरान बाल विवाह रह गए आधे, लेकिन चिंता अभी कायम

• बाल विवाह रोकने के लिए वर्षो से किए जा रहे प्रयास रंग लाते दिख रहे हैं। बाल विवाह की दर में पहले से कमी आई है। पिछले दस साल में नाबालिग लड़कियों की शादी की दर घट कर करीब आधी रह गई है। हालांकि समस्या खत्म नहीं हुई है, इसलिए निश्चिंत नहीं हुआ जा सकता।
• अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है क्योंकि बाल विवाह की शिकायतें इतने पर भी साल में तीन सौ का आंकड़ा पार कर रही हैं। इस बदलाव का एक सुखद पहलू यह भी है कि अब कम उम्र में मां बनने की तादाद में भी काफी कमी आई है।
• सरकार की ओर से पिछले दिनों संसद में दिए गए जवाबों को देखा जाए तो बाल विवाह की स्थिति का यही निष्कर्ष निकलता है।
• महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती कृष्णा राज ने एक सवाल के जवाब में चतुर्थ राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) की ताजा रिपोर्ट के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि नाबालिग लड़कियों की शादी की दर में कमी आई है।
• एनएफएचएस की 2015-16 की रिपोर्ट के आंकड़े 18 साल से पहले विवाह करने में कमी को दर्शाते हैं। रिपोर्ट बताती है कि 20-24 वर्ष की आयु समूह की महिलाओं में 18 वर्ष की आयु से पहले विवाह का प्रतिशत 26.8 है जो कि एनएफएचएस के 2005-06 के तृतीय सर्वेक्षण में 47.4 था।
• चतुर्थ सर्वेक्षण के आंकड़ों से ये भी पता चलता है कि कम उम्र में मां बनने में भी कमी आई है। साथ ही माताओं की शिक्षा आदि के चलते संस्थागत जन्म की प्रवृत्ति दिखती है। यानी महिलाओं की कम उम्र में शादी रुकने और उनके शिक्षित होने से चीजें बदल रहीं हैं,
• एक दूसरे प्रश्न के जवाब में सरकार की ओर से लोकसभा में पेश किए गए आंकड़े बताते हैं कि बाल विवाह की शिकायतों के आंकड़े अभी भी तीन सौ की संख्या पार कर रहे हैं। महिला और बाल विकास राज्य मंत्री कृष्णा राज ने लोकसभा में पिछले तीन साल का बाल विवाह की शिकायतों का आंकड़ा पेश किया है।
• इसके मुताबिक 2014, 2015 और 2016 में क्रमश: 280, 293 और 326 मामले बाल विवाह के दर्ज किये गये। सरकार ने बताया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के विश्लेषण में 640 जिलों में से 70 की पहचान बाल विवाह की अधिक घटना वाले जिलों के रूप में की गई है।
• आयोग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एडवाइजरी जारी कर विशेष रूप से अक्षय तृतीया तथा अन्य त्योहारों के अवसर पर बाल विवाह रोकने के लिए कारगर कदम उठाने का अनुरोध किया गया है।
• सरकार मानती है कि बाल विवाह के कारण जटिल हैं। ये सोच से जुड़ी समस्या है, जिसके तहत बेटियों को बोझ समझा जाता है। सामाजिक रीति-रिवाज, परंपरा, निरक्षरता, गरीबी, समाज में महिलाओं का निम्न स्तर, बाल विवाह के परिणामों के बारे में जागरूकता का अभाव आदि कुछ ऐसे कारण हैं जो बाल विवाह की प्रथा को प्रोत्साहित करते हैं।
• राज्यों को बाल विवाह निषेध कानून ठीक से लागू करने की एडवाइजरी जारी होती रहती है लेकिन बाल विवाह के प्रचलन में शामिल मुद्दों का समाधान सिर्फ विधायी हस्तक्षेप से नहीं किया जा सकता। ये सतत प्रक्रिया है और इसके लिए जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं।

4. रूस, ईरान व उत्तर कोरिया पर लगेंगे नए प्रतिबंध

• पिछले साल हुए राष्ट्रपति चुनाव में रूस के दखल और यूक्रेन में उसकी कार्रवाई को लेकर अमेरिका उस पर नए प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है। ट्रपर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का जोखिम है।
• वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को संसद को सूचित किया था कि सरकार वित्त वर्ष की अप्रैल-मार्च की जगह इसे जनवरी से शुरू करना चाहती है। भारत सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष (एक अप्रैल से 31 मार्च) 1867 में अपनाया था ताकि भारतीय वित्त वर्ष का ब्रिटिश सरकार के वित्त वर्ष के साथ तालमेल रहे। उससे पहले भारत में वित्त वर्ष एक मई से 30 अप्रैल था।
• मोइली ने कहा कि सरकार फरवरी में बजट में वित्त वर्ष में बदलाव की घोषणा कर सकती है और उसके अनुरूप अगले बजट से संबंधित आंकड़ों को समायोजित किया जा सकता है।
• ऐसी रिपोर्ट है कि सरकार उसके बाद बजट प्रस्तुत करने का कार्यक्रम फरवरी के बजाए नवंबर कर सकती हैं। वित्त पर संसद की स्थायी समिति के चेयरमैन और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा, आजादी के बाद कई समितियों ने वित्त वर्ष में बदलाव पर विचार किया है। यह कोई नया विचार नहीं है।
• उन्होंने कहा, मैं भी इसके पक्ष में हूं लेकिन जल्दबाजी नहीं करे। राज्यों की राय ली जाए। केवल तीन राज्यों मध्य प्रदेश, तेलंगाना और आंध प्रदेश ने अपनी राय दी है और वह भी आधिकारिक नहीं हैं। अन्य बातों के अलावा समिति ने रेल बजट का आम बजट में विलय समेत बजटीय सुधारों पर गौर किया था।
• पूर्व केंद्रीय मंत्री और दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग के चेयरमैन ने कहा, वित्त वर्ष में बदलाव किया जाना चाहिए क्योंकि अप्रैल-मार्च भारतीय संस्कृति और प्रकृति से नहीं उपजा है। यह पूरी तरह ब्रिटेन से जुड़ा है। वित्त वर्ष को कैलेंडर वर्ष से जोड़े जाने के पीछे तर्क देते हुए उन्होंने कहा, हम वैश्विक  अर्थव्यवस्था हैं।
• कई देशों ने कैलेंडर वर्ष को अपनाया हैं। हमें इसे अपनाना चाहिए लेकिन मनमाने तरीके से नहीं।
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वित्त वर्ष को कैलेंडर वर्ष से जोड़े जाने की इच्छा जताए जाने के बाद सरकार ने पिछले साल वित्त वर्ष एक जनवरी से 31 दिसंबर किए जाने की व्यवहार्यता की जांच के लिए समिति नियुक्त की थी।
• शंकर आचार्य की अध्यक्षता वाली समिति ने दिसंबर में वित्त मंत्री को रिपोर्ट सौंप दी।
• मोइली ने कहा, सरकार को वित्त वर्ष जनवरी-दिसंबर किये जाने की घोषणा बजट में करने दीजिए और अगले साल से लागू करने दीजिए।
• कांग्रेस नेता ने कहा कि लेखा वर्ष में अचानक से बदलाव अर्थव्यवस्था में बाधाएं उत्पन्न हो सकती है क्योंकि कर कानून के साथ लेखा वर्ष में संशोधन करना होगा।

8. नए जलमार्ग से जुड़ेंगे भारत और बांग्लादेश : मंडाविया

• केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा है कि भारत और बांग्लादेश पहले से ही नए जलमार्ग के माध्यम से पूर्वोत्तर और पश्चिम बंगाल को बांग्लादेश के साथ जोड़ने के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर कर चुके हैं।केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं जहाज रानी राज्य मंत्री ने शनिवार रात यहां बताया, नए जलमार्ग जहाजों द्वारा लोगों और वस्तुओं को लाने ले जाने में मददगार होंगे।
• बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल की प्रमुख नदियों और असम में ब्रह्मपुत्र के जरिये नए जलमार्ग बनाए जाएंगे। इसके लिए नदियों में निकर्षण की आवश्यकता पड़ेगी और संबंधित देश अपनी नदियों में इस कार्य को करेंगे।
• उन्होंने बताया, नई परियोजना पर इस वर्ष काम शुरू हो जाएगा और दोनों देशों के बीच व्यापार और लोगों की आवाजाही में वृद्धि हो सकेगी। दोनों देशों की 4095 किलोमीटर लंबी सीमा में 1116 किलोमीटर का हिस्सा नदी से होकर गुजरता है।
• रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री का भी पदभार संभालने वाले मंडाविया ने कल त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार और राज्यपाल तथागत रॉय से मुलाकात की और गरीब लोगों तक गुणवत्तापूर्ण दवाइयां पहुंचाने के लक्ष्य से लायी गई प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधी परियोजना के कार्यान्वयन पर र्चचा की।



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23 July 2017(Sunday)

1.कश्मीर को लेकर नीति में बदलाव नहीं : अमेरिका

• अमेरिकी अधिकारियों ने इस बात को स्वीकार किया है कि अमेरिका के जम्मू-कश्मीर के विवरण में विसंगति रही है लेकिन यह कहते हुए अपनी नीति में कोई बदलाव न होने की बात कही कि कश्मीर को लेकर किसी भी र्चचा की गति, गुंजाइश एवं चरित्र का निर्धारण भारत और पाकिस्तान ही करेंगे।
• अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा, कश्मीर को लेकर हमारी नीति में कोई बदलाव नहीं आया है। अमेरिका द्वारा जम्मू-कश्मीर के विवरण के अलग अलग तरीकों को लेकर सवाल उठने पर यह स्पष्टीकरण दिया गया।
• हाल में अमेरिका ने एक बयान में इसे भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर बताया था और इस हफ्ते उसने इसे भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर कहा।विदेश विभाग ने जून में पाकिस्तान स्थित हिज्बुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन को विशेष रूप से नामित वैश्विक  आतंकी करार देते हुए कहा था कि आतंकी समूह ने अप्रैल, 2014 में भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर में हुए हमले सहित कई हमलों की जिम्मेदारी ली है।
• हालांकि भारत ने अमेरिका के इस उल्लेख को तवज्जो न देते हुए कहा था कि पूर्व में भी इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया जा चुका है।
• पूर्व में अमेरिका ने भारत के नियंत्रण  वाले कश्मीर शब्द का भी इस्तेमाल किया था। बुधवार को जारी नवीनतम कंट्री रिपोर्ट ऑन टेररिज्म में अमेरिका ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को आजाद जम्मू-कश्मीर बताया था।
• विदेश विभाग द्वारा आजाद जम्मू-कश्मीर शब्द के इस्तेमाल का भारत सरकार ने कड़ा विरोध किया था। अमेरिकी अधिकारियों ने इस बात को स्वीकार किया कि अमेरिका के जम्मू-कश्मीर के विवरण में विसंगति रही है लेकिन कहा कि उसकी नीति में कोई बदलाव नहीं आया है।

2. कतर वार्ता के लिए तैयार

• कतर के अमीर तमीम बिन हमद अल थानी ने कहा है कि वह खाड़ी के चार पड़ोसी देशों के साथ विवादों को बातचीत से हल करने के लिए तैयार है लेकिन उन्हें कतर के संप्रभुता का भी सम्मान करना चाहिए।
• शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने एक टीवी को दिए अपने भाषण में कहा कि कुवैत की मध्यस्थता और प्रयासों के लिए उन्होंने अमेरिका, तुर्की और जर्मनी सहित अन्य देशों के समर्थन को भी अहम माना और इस पर गहन विचार विमर्श किया है।
• कतर के अमीर ने यरूशलम में अल-अक्सा मस्जिद को बंद करने की भी आलोचना की और फिलिस्तीनी लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की।
• गौरतलब है कि खाड़ी के चार देशों सऊदी अरब, मिस, बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात ने कतर पर आतंकी संगठनों को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए उससे अपने संबंध तोड़ लिए थे।

3. सांसदों की 100 दिन अनिवार्य उपस्थिति का कानून बने : येचुरी

• मार्क्ससवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव व राज्यसभा सदस्य सीताराम येचुरी ने संसदीय सत्रों में कामकाज के दिनों की संख्या कम होते जाने पर चिंता जताते हुए कहा कि ऐसा कानून बनाने की जरूरत है, जो सांसदों के लिए कम से कम 100 दिन की सक्रिय उपस्थिति अनिवार्य बनाए।
• येचुरी ने कहा कि ऐसा करने पर ही सरकार की जवाबदेही तय होगी।कम्युनिस्ट नेता शैलेन्द्र शैली की स्मृति में आयोजित व्याख्यानमाला में संवैधानिक मूल्यों पर खतरे और सिकुड़ता जनतंत्र विषय पर येचुरी ने शुक्रवार शाम कहा कि एक ऐसा कानून बनाने की जरूरत है, जो कम से कम 100 दिन की सक्रिय उपस्थिति को सांसदों के लिए अनिवार्य करे।
• संसदीय कार्यवाहियां सुचारू रूप से चलाने के लिए आज बहुत जरूरी हो गया है कि संसदीय कायरे के प्रति अरुचि व लापरवाही खत्म हो।उन्होंने कहा कि पिछले तीन सालों में देश में 60-70 दिन प्रति वर्ष से अधिक संसद नहीं बैठी।
• ऐसे में सरकार की जवाबदेही कैसे होगी? उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में संसद एक साल में लगभग 200 दिन बैठती है।

4. चुनाव बांड प्रक्रिया पर सक्रियता से काम कर रही सरकार

• राजनीतिक दलों को चंदा देने की पूरी प्रक्रिया को साफ सुथरा बनाने के लिए बजट में घोषित चुनाव बांड पण्राली को लेकर सरकार पूरी सक्रियता के साथ काम कर रही है लेकिन अब तक कोई भी राजनीतिक दल इस बारे में सुझाव देने के लिए आगे नहीं आया है।
• वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले 70 साल के दौरान भारत के लोकतंत्र में अदृश्य स्रेतों से धन आता रहा है तथा निर्वाचित प्रतिनिधि, सरकारें, राजनीतिक दल, संसद और यहां तक कि चुनाव आयोग भी इसका पता लगाने में पूरी तरह से असफल रहे हैं।
• वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राजनीतिक चंदा देने के मामले में पारदर्शिता लाने के ध्येय से इस साल के बजट में राजनीतिक दलों को नकद राशि के रूप में चंदा देने की सीमा 2,000 रपए तय कर दी और बड़ी राशि का चंदा देने के लिए चुनाव बांड शुरू करने की घोषणा की।
• जेटली ने यहां दिल्ली इकानॉमिक कॉन्क्लेव का उद्घाटन करते हुए कहा, मैंने राजनीतिक दलों से लिखित