Current Affairs
🌍दैनिक समसामयिकी🗺
04 July 2017
1.कतर को 13 मांगें मानने के लिए 48 घंटे की मियाद
• कतर के साफ इन्कार के बावजूद सऊदी अरब के नेतृत्वन में चार खाड़ी देशों ने अपने मांग पत्र पर विचार के लिए उसे 48 घंटे का वक्त और दिया है। कुवैत के अमीर के अनुसार ऐसा उनके गतिरोध खत्म करने के प्रयास के चलते हुआ है। इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फोन पर सऊदी अरब के शाह, संयुक्त अरब अमीरात के युवराज और कतर के अमीर से बात करके खाड़ी देशों में बना गतिरोध दूर कर एकजुटता की अपील की है।
• सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), बहरीन और मिस्न ने पांच जून को सभी तरह के संबंध और संपर्क तोड़ने का एलान किया था। इसके बाद हालात को सामान्य करने के लिए 22 जून को 13 सूत्री मांग पत्र दिया था।
• मांग पत्र में राजशाही का विरोध करने वाले मुस्लिम ब्रदरहुड नाम के चरमपंथी संगठन से समर्थन खत्म करने, अल-जजीरा न्यूज चैनल बंद करने, ईरान से संबंधों का दायरा कम करने और तुर्की का सैन्य अड्डा खत्म करने जैसी मांगें थीं।
• इन मांगों को मानने के लिए कतर को दस दिन का समय दिया गया था। लेकिन कतर ने इससे पहले ही इन मांगों को मानने से इन्कार कर दिया। हां, उसने सभी मसलों पर उचित माहौल में वार्ता करने की बात कही।
• साथ ही यह भी कहा कि अगर पड़ोसी देश उसके साथ संबंध तोड़े रखना चाहते हैं तो उस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वैसे गैस और तेल संपन्न कतर खाद्य पदार्थ और पेयजल के लिए संबंध तोड़ने वाले पड़ोसी देशों पर ही निर्भर था। लेकिन ईरान और तुर्की द्वारा उसकी मदद के लिए सक्रिय हो जाने से कतर में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बनी रही।
• 2022 के फीफा वल्र्ड कप फुटबाल टूर्नामेंट के आयोजक कतर की 25 फीसद आबादी भारतीय मूल की है और प्रतिबंध के करीब एक महीने बाद भी वहां हालात बिगड़े नहीं हैं।
2. चीन ने दक्षिण चीन सागर में भेजे युद्धपोत व लड़ाकू विमान
• चीन ने दक्षिण चीन सागर में स्थित विवादास्पद द्वीप के पास अमेरिकी मिसाइल विध्वंसक पोत पहुंचने की प्रतिक्रिया में अपने एक नौसैनिक पोत और लड़ाकू विमानों को वहां भेजा है। उसने वाशिंगटन के इस कदम को उकसावे वाली कार्रवाई करार देते हुए कड़ी निंदा की है।
• चीन ने इस पर अमेरिका को चेतावनी भी जारी की है। डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से यह दूसरी बार है, जब कोई अमेरिकी नौसैनिक युद्धपोत इस विवादित द्वीप तक पहुंचा है।
• चीनी विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता ल्यू कांग की ओर से रविवार देर रात जारी बयान में कहा गया है कि बीजिंग ने अमेरिकी पोत को दूर रहने देने के लिए सैन्य पोतों व लड़ाकू विमानों को भेजा है।
• सरकारी समाचार एजेंसी की खबर में कहा गया है कि रविवार को अमेरिकी मिसाइल विध्वंसक यूएसएस स्टेथेम ने शिशा द्वीप के निकट चीन के जल क्षेत्र में अनधिकृत रूप से प्रवेश किया। शिशा एक कृत्रिम द्वीप है।
• पड़ोसी देश इस द्वीप पर यह कहकर आपत्ति जताते रहे हैं कि चीन इसके जरिये अपनी आधिकारिक सीमा का विस्तार कर रहा है। इस मामले में अमेरिका भी कई बार आपत्ति जता चुका है।
• ल्यू ने कहा कि अमेरिकी व्यवहार उकसावे की राजनीतिक व सैन्य कार्रवाई के बराबर है। चीनी पक्ष इससे गंभीर रूप से असंतुष्ट है। इसकी कड़ी निंदा करता है। उन्होंने कहा, चीनी कानून में चीन सागर के क्षेत्रीय जल में विदेशी सैन्य पोतों के प्रवेश को लेकर स्पष्ट प्रावधान हैं।
• नौवहन स्वतंत्रता के बहाने अमेरिका ने चीन के क्षेत्रीय जल में फिर सैन्य पोत भेजा है। अमेरिका ने चीनी कानून व प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है। इसने चीन की संप्रभुता का उल्लंघन किया है। क्षेत्रीय जल में व्यवस्था, सुरक्षा व शांति को बाधित किया है।
• चीनी द्वीपों में सुविधाओं व कर्मियों को खतरे में डाला है। मालूम हो, स्टेथेम पैरासेल द्वीपसमूह में छोटे टिटन द्वीप के 22 किलोमीटर तक पास आया। इस द्वीपसमूह को चीन शिशा द्वीप करार देता है। इस द्वीप श्रृंखला पर ताइवान व वियतनाम भी दावा करते हैं।
3. भारत ने किया सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल का परीक्षण
• भारत ने सोमवार को ओडिशा तट से जमीन-से-हवा में कम दूरी तक मार कर सकने वाली स्वदेशी मिसाइल का सफल परीक्षण किया। सुबह 11.25 बजे चांदीपुर के पास एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के लॉन्च कॉम्पलेक्स संख्या तीन से अत्याधुनिक मिसाइल का परीक्षण किया गया।
• 25 से 30 किमी मारक क्षमता वाली इस मिसाइल में हर मौसम में काम करने वाली हथियार प्रणाली लगी है। हवा में मौजूद लक्ष्य को निशाना बनाकर दागी गई इस अत्याधुनिक मिसाइल का यह दूसरा विकास परीक्षण था।
• रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और अन्य संस्थानों ने यह मिसाइल विकसित की है। इस मिसाइल का पहला परीक्षण 4 जून 2017 को इसी प्रक्षेपण स्थल से किया गया था। यह मिसाइल कई लक्ष्यों को एक साथ साधने में सक्षम है।
4. मोदी की तीन दिवसीय इस्रइल यात्रा आज से : भारत से साइबर सुरक्षा पर होगी बात
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस्रइल यात्रा से पहले इस्रइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि मोदी के साथ उनकी बातचीत में साइबर सुरक्षा समेत सहयोग के कई अहम क्षेत्रों पर र्चचा होगी।
• तेल अवीव यूनिवर्सिटी में साइबर वीक 2017 सम्मेलन के दौरान नेतन्याहू ने कहा, पहले यह बताने में नुकसान होता था कि आप इस्रइल से हैं लेकिन आज जब आप साइबर या आधुनिक प्रौद्योगिकी की बात करते हैं तो यह बताना लाभकारी होता है कि हम एक इस्रइली कंपनी हैं।
• पूरी दुनिया को हमारी जरूरत है। पूरा विश्व यहां आ रहा है। मोदी को दुनिया के सबसे अहम प्रधानमंत्रियों में से एक बताते हुए नेतन्याहू ने कहा कि भारतीय नेता साइबर समेत कई क्षेत्रों में इस्रइल के साथ निकट सहयोग चाहते हैं।
• इस्रइल के प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक वीडियो के अनुसार नेतन्याहू ने वहां मौजूद लोगों को हिब्रू में संबोधित करते हुए कहा, मसलन, भारत के प्रधानमंत्री यहां यात्रा पर आ रहे हैं, वह दुनिया के सबसे अहम प्रधानमंत्रियों में से एक हैं और भारत दुनिया में बेहद तेजी से उभरती तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। वह जल, कृषि, स्वास्थ्य और साइबर जैसे कई क्षेत्रों में इस्रइल के साथ निकट सहयोग चाहते हैं और ऐसा करने के लिए उनके पास बेहतर वजह भी है।
• भारत और इस्रइल के बीच राजनयिक रिश्तों के 25 साल पूरे होने के मौके पर मोदी चार जुलाई को इस्रइल की तीन दिवसीय यात्रा पर आएंगे। नेतन्याहू ने जोर दिया कि मेरे मित्र नरेंद्र मोदी की आगामी यात्रा के दौरान दुनिया में खासकर एक प्रौद्योगिकी दिग्गज के तौर पर इस्रइल की बढ़ती स्वीकार्यता पूरे भाव से सामने आने वाली है।
• नेतन्याहू हवाईअड्डे पर मोदी का अभिनंदन करेंगे। यह एक विशेष शिष्टाचार अभिनंदन है जो सिर्फ पोप एवं अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए किया जाता है।
• इस्रइली प्रधानमंत्री मोदी के लिए विशेष रात्रिभोज का भी आयोजन करेंगे।
• नेतन्याहू पांच जुलाई को सामुदायिक स्वागत समारोह समेत अधिकतर कार्यक्रमों में मोदी के साथ होंगे।
• मोदी हैफा में इंडियन सिमेट्री में भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देंगे।
• मोदी 26/11 मुंबई आतंकी हमले में जीवित बचे होल्त्जबर्ग मोशे से भी मुलाकात करेंगे, जिन्हें उनकी भारतीय आया सांडा सैमुएल ने बचाया था।
• प्रधानमंत्री पांच जुलाई को इस्रइल के राष्ट्रपति रूवन रिवलिन और विपक्ष के नेता आईजैक हरजोग से भी मुलाकात करेंगे।
5. रिकार्ड पैदावार के बावजूद बढ़ रही है अनाज की मांग
• मौजूदा समय में कृषि से जुड़ी है 55 फीसद आबादीवर्ष 2020 तक घटकर 33ù रह जाएगी यह आबादीइससे कृषि कायरे के लिए हो जाएगी श्रमिकों की कमी
• इस वर्ष अनाज का रिकार्ड उत्पादन होने का जिक्र करते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि अनाज की मांग बढ़ रही है और अनुमान लगाया गया है कि 2025 तक हमें 30 करोड़ टन से ज्यादा अनाज उत्पादन करना होगा।
• कृषि मंत्री ने कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार 54.6 फीसद लोग कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए हैं जो 2020 तक घटकर 33 फीसद रह जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है। संसदीय परामर्शदात्री समिति की अंतर सत्र बैठक को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि यह आंकड़े दर्शाते है कि कृषि कायरे के महत्वपूर्ण समय जैसे कि बुवाई और कटाई हेतु श्रमिकों की कमी होगी और इसका उत्पादन पर प्रतिकूल असर होगा।
• इस प्रकार, विभिन्न कृषि कार्यों के लिए ऊर्जा की अतिरिक्त मांग को कृषि मशीनीकरण के माध्यम से पूरा किया जाना होगा और इसके लिए कृषि यंत्रीकरण सेक्टर को तेजी से बढ़ने की जरूरत है।
• भारत में औसत कृषि आकार 1.16 हेक्टेयर है जो यूरोपीय संघ (14 हेक्टेयर) और संयुक्त राज्य अमेरिका (170 हेक्टेयर) की तुलना मे काफी छोटा है ।
• 63 फीसद फार्म होल्डिंग एक हेक्टर से नीचे हैं जिसकी कृषि संचालित क्षेत्र मे 19 फीसद हिस्सेदारी है। जबकि लगभग 86 फीसद फार्म होल्डिंग्स 2 हेक्टेयर के नीचे है जिसकी कृषि संचालित क्षेत्र में हिस्सेदारी लगभग 40 फीसद है।
• कृषि मंत्री ने कहा कि परिचालन खेत जोत का विखंडन एक प्रमुख चिंता का विषय बना हुआ है क्योंकि जोत का औसत आकार सन 1970-71 में जो 2.82 हेक्टेयर था वह 2010-11 में घटकर 1.1 हेक्टेयर हो गया है। परिचालन खेत जोत का औसत धारण आकार साल 2030 और 2050 में क्रमश: 0.32 और 0.24 हेक्टेयर होने का अनुमान है।
• राधामोहन सिंह ने कहा कि औसत जोत आकार में निरंतर संकुचन के कारण, अधिक खेत प्रतिकूल श्रेणी में आ जाएंगे जिससे कृषि मशीनरी के व्यक्तिगत स्वामित्व को धीरे-धीरे और अधिक अनौपचारिक बना देगा। इसलिए छोटे खेतों के लिए पर्याप्त कृषि शक्ति की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती होगी।
• सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार उन्होंने कहा कि कृषि यंत्रीकरण क्षेत्र की अन्य चुनौतियां ये हैं कि कैसे कौशल बाधाओं को दूर किया जाए ताकि आधुनिक प्रौद्योगिकी को पर्याप्त रूप से समर्थन प्राप्त हो।
• भविष्य में जीवाश्म ईधन की कम उपलब्धता और उस पर अधिक लागत के कारण उर्जा की कमी और पर्यावरणीय गिरावट की उपेक्षा किए बिना कृषि यंत्रीकरण का सतत विकास सुनिश्चित करने की संभावनाओ का संपर्क स्थापित करना आवश्यक होगा।
• उन्होंने कहा कि 2012-13 एवं 2013-14 में कृषि यंत्रीकरण पर दो छोटी योजनाएं चलाई जा रही थीं जिसके लिए आवंटन क्रमश: मात्र रपए 24.10 करोड़ एवं 38.49 करोड़ रपए था।
• परन्तु कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा कृषि यंत्रीकरण की महत्ता को ध्यान में रखकर देश में कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्ष 2014-15 से कृषि यंत्रीकरण उपमिशन प्रारम्भ किया गया है, जिसका उदेश्य छोटे और सीमान्त किसानों तथा उन क्षेत्रों में जहां कृषि यंत्रों की उपलब्धता कम है, वहां कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देना है।
6. शुरुआती अड़चनें दूर हों तो जीएसटी लॉजिस्टिक्स उद्योग के लिए फायदेमंद
• भारत की लॉजिस्टिक्स कंपनियां क्रांतिकारी जीएसटी व्यवस्था को अपनाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। यह सर्वस्वीकृत तथ्य है कि लॉजिस्टिक्स उद्योग पर जीएसटी का प्रत्यक्ष तथा तत्काल प्रभाव पड़ेगा।
• लॉजिस्टिक्स में कस्टम क्लियरेंस, फ्रेट फॉरवर्डिग, वेयरहाउसिंग, डिस्ट्रीब्यूशन तथा सप्लाई चेन सभी आ जाते हैं। सरकार का अनुमान है कि जीएसटी से कंपनियों को तकरीबन 14 अरब डॉलर की बचत होगी, क्योंकि इससे उन्हें अपने गोदामों तथा सप्लाई चेन के कुशलतापूर्वक उपयोग का मौका मिलेगा।
• जीएसटी लागू होने से फर्मे सामान की ढुलाई एक से दूसरे राज्य को करने के बजाय ‘हब एंड स्पोक’ पद्धति (सामान को पहले एक जगह एकत्र करने के बाद वहां से हर तरफ उसकी आपूर्ति) से करेंगी।
• विकसित देशों मेंइसी पद्धति से सामान की ढुलाई होती है। इससे लॉजिस्टिक्स तथा परिवहन की लागत घटने के अलावा समय की भी बचत होगी। इसका फायदा आयातकों तथा निर्यातकों को भी मिलेगा।
• चूंकि भारतीय निर्माताओं, निर्यातकों तथा अंतिम उपयोगकर्ताओं को इससे लाभ होगा, लिहाजा विश्व बाजार में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा शक्ति काफी बढ़ जाएगी।
• जीएसटी का कार्यान्वयन अत्यंत उपयुक्त समय में हो रहा है। इसका श्रेय सरकार की मेक इन इंडिया, सिंगिल विंडो कस्टम क्लियरेंस, ईज ऑफ डुइंग बिजनेस, स्टार्ट अप इंडिया जैसी स्कीमों तथा घरेलू खपत को बढ़ावा देने व निर्यात को किफायती बनाने के उपायों को जाता है, जिनका लंबे समय में जबरदस्त फायदा मिलने वाला है। लेकिन इन उपयुक्त इंफ्रास्ट्रक्चर, कार्गो की निर्बाध आवाजाही तथा पूरे देश में समान कर नीति के जरिये इन कदमों को और सुदृढ़ बनाए जाने की जरूरत है।
• जीएसटी से न केवल टैक्स के ऊपर टैक्स का व्यापक प्रभाव कम होगा, बल्कि भंडारण और वितरण की सुदृढ़ व्यवस्था के चलते कार्गो की आवाजाही भी निर्बाध व तीव्र होगी।
• अध्ययनों से पता चलता है कि एंट्री टैक्स, चुंगी, व्यापार कर जैसी व्यापारिक बाधाओं के परिणामस्वरूप सामान को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में ट्रकों का 30 से 40 फीसद तक अतिरिक्त वक्त बर्बाद होता है। जीएसटी लागू होने से इसमें कमी आने की उम्मीद है, क्योंकि राज्यों के बीच चेक पोस्टं खत्म होने हो जाएंगी।
• विश्व बैंक के मुताबिक जीएसटी से भारतीय उद्योग घरानों की लॉजिस्टिक्स लागत 30-40 फीसद तक घट जाएगी।
• इसके ई-वे बिल के कार्यान्वयन को लेकर उद्योग की कुछ चिंताएं हैं। जब तक ई-वे बिल प्रणाली पूरे देश में सही ढंग से लागू नहीं हो जाती, तब तक जीएसटी का पूरा लाभ नहीं मिलने वाला।
🌍दैनिक समसामयिकी🗺
04 July 2017
1.कतर को 13 मांगें मानने के लिए 48 घंटे की मियाद
• कतर के साफ इन्कार के बावजूद सऊदी अरब के नेतृत्वन में चार खाड़ी देशों ने अपने मांग पत्र पर विचार के लिए उसे 48 घंटे का वक्त और दिया है। कुवैत के अमीर के अनुसार ऐसा उनके गतिरोध खत्म करने के प्रयास के चलते हुआ है। इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फोन पर सऊदी अरब के शाह, संयुक्त अरब अमीरात के युवराज और कतर के अमीर से बात करके खाड़ी देशों में बना गतिरोध दूर कर एकजुटता की अपील की है।
• सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), बहरीन और मिस्न ने पांच जून को सभी तरह के संबंध और संपर्क तोड़ने का एलान किया था। इसके बाद हालात को सामान्य करने के लिए 22 जून को 13 सूत्री मांग पत्र दिया था।
• मांग पत्र में राजशाही का विरोध करने वाले मुस्लिम ब्रदरहुड नाम के चरमपंथी संगठन से समर्थन खत्म करने, अल-जजीरा न्यूज चैनल बंद करने, ईरान से संबंधों का दायरा कम करने और तुर्की का सैन्य अड्डा खत्म करने जैसी मांगें थीं।
• इन मांगों को मानने के लिए कतर को दस दिन का समय दिया गया था। लेकिन कतर ने इससे पहले ही इन मांगों को मानने से इन्कार कर दिया। हां, उसने सभी मसलों पर उचित माहौल में वार्ता करने की बात कही।
• साथ ही यह भी कहा कि अगर पड़ोसी देश उसके साथ संबंध तोड़े रखना चाहते हैं तो उस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वैसे गैस और तेल संपन्न कतर खाद्य पदार्थ और पेयजल के लिए संबंध तोड़ने वाले पड़ोसी देशों पर ही निर्भर था। लेकिन ईरान और तुर्की द्वारा उसकी मदद के लिए सक्रिय हो जाने से कतर में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बनी रही।
• 2022 के फीफा वल्र्ड कप फुटबाल टूर्नामेंट के आयोजक कतर की 25 फीसद आबादी भारतीय मूल की है और प्रतिबंध के करीब एक महीने बाद भी वहां हालात बिगड़े नहीं हैं।
2. चीन ने दक्षिण चीन सागर में भेजे युद्धपोत व लड़ाकू विमान
• चीन ने दक्षिण चीन सागर में स्थित विवादास्पद द्वीप के पास अमेरिकी मिसाइल विध्वंसक पोत पहुंचने की प्रतिक्रिया में अपने एक नौसैनिक पोत और लड़ाकू विमानों को वहां भेजा है। उसने वाशिंगटन के इस कदम को उकसावे वाली कार्रवाई करार देते हुए कड़ी निंदा की है।
• चीन ने इस पर अमेरिका को चेतावनी भी जारी की है। डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से यह दूसरी बार है, जब कोई अमेरिकी नौसैनिक युद्धपोत इस विवादित द्वीप तक पहुंचा है।
• चीनी विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता ल्यू कांग की ओर से रविवार देर रात जारी बयान में कहा गया है कि बीजिंग ने अमेरिकी पोत को दूर रहने देने के लिए सैन्य पोतों व लड़ाकू विमानों को भेजा है।
• सरकारी समाचार एजेंसी की खबर में कहा गया है कि रविवार को अमेरिकी मिसाइल विध्वंसक यूएसएस स्टेथेम ने शिशा द्वीप के निकट चीन के जल क्षेत्र में अनधिकृत रूप से प्रवेश किया। शिशा एक कृत्रिम द्वीप है।
• पड़ोसी देश इस द्वीप पर यह कहकर आपत्ति जताते रहे हैं कि चीन इसके जरिये अपनी आधिकारिक सीमा का विस्तार कर रहा है। इस मामले में अमेरिका भी कई बार आपत्ति जता चुका है।
• ल्यू ने कहा कि अमेरिकी व्यवहार उकसावे की राजनीतिक व सैन्य कार्रवाई के बराबर है। चीनी पक्ष इससे गंभीर रूप से असंतुष्ट है। इसकी कड़ी निंदा करता है। उन्होंने कहा, चीनी कानून में चीन सागर के क्षेत्रीय जल में विदेशी सैन्य पोतों के प्रवेश को लेकर स्पष्ट प्रावधान हैं।
• नौवहन स्वतंत्रता के बहाने अमेरिका ने चीन के क्षेत्रीय जल में फिर सैन्य पोत भेजा है। अमेरिका ने चीनी कानून व प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है। इसने चीन की संप्रभुता का उल्लंघन किया है। क्षेत्रीय जल में व्यवस्था, सुरक्षा व शांति को बाधित किया है।
• चीनी द्वीपों में सुविधाओं व कर्मियों को खतरे में डाला है। मालूम हो, स्टेथेम पैरासेल द्वीपसमूह में छोटे टिटन द्वीप के 22 किलोमीटर तक पास आया। इस द्वीपसमूह को चीन शिशा द्वीप करार देता है। इस द्वीप श्रृंखला पर ताइवान व वियतनाम भी दावा करते हैं।
3. भारत ने किया सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल का परीक्षण
• भारत ने सोमवार को ओडिशा तट से जमीन-से-हवा में कम दूरी तक मार कर सकने वाली स्वदेशी मिसाइल का सफल परीक्षण किया। सुबह 11.25 बजे चांदीपुर के पास एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के लॉन्च कॉम्पलेक्स संख्या तीन से अत्याधुनिक मिसाइल का परीक्षण किया गया।
• 25 से 30 किमी मारक क्षमता वाली इस मिसाइल में हर मौसम में काम करने वाली हथियार प्रणाली लगी है। हवा में मौजूद लक्ष्य को निशाना बनाकर दागी गई इस अत्याधुनिक मिसाइल का यह दूसरा विकास परीक्षण था।
• रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और अन्य संस्थानों ने यह मिसाइल विकसित की है। इस मिसाइल का पहला परीक्षण 4 जून 2017 को इसी प्रक्षेपण स्थल से किया गया था। यह मिसाइल कई लक्ष्यों को एक साथ साधने में सक्षम है।
4. मोदी की तीन दिवसीय इस्रइल यात्रा आज से : भारत से साइबर सुरक्षा पर होगी बात
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस्रइल यात्रा से पहले इस्रइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि मोदी के साथ उनकी बातचीत में साइबर सुरक्षा समेत सहयोग के कई अहम क्षेत्रों पर र्चचा होगी।
• तेल अवीव यूनिवर्सिटी में साइबर वीक 2017 सम्मेलन के दौरान नेतन्याहू ने कहा, पहले यह बताने में नुकसान होता था कि आप इस्रइल से हैं लेकिन आज जब आप साइबर या आधुनिक प्रौद्योगिकी की बात करते हैं तो यह बताना लाभकारी होता है कि हम एक इस्रइली कंपनी हैं।
• पूरी दुनिया को हमारी जरूरत है। पूरा विश्व यहां आ रहा है। मोदी को दुनिया के सबसे अहम प्रधानमंत्रियों में से एक बताते हुए नेतन्याहू ने कहा कि भारतीय नेता साइबर समेत कई क्षेत्रों में इस्रइल के साथ निकट सहयोग चाहते हैं।
• इस्रइल के प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक वीडियो के अनुसार नेतन्याहू ने वहां मौजूद लोगों को हिब्रू में संबोधित करते हुए कहा, मसलन, भारत के प्रधानमंत्री यहां यात्रा पर आ रहे हैं, वह दुनिया के सबसे अहम प्रधानमंत्रियों में से एक हैं और भारत दुनिया में बेहद तेजी से उभरती तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। वह जल, कृषि, स्वास्थ्य और साइबर जैसे कई क्षेत्रों में इस्रइल के साथ निकट सहयोग चाहते हैं और ऐसा करने के लिए उनके पास बेहतर वजह भी है।
• भारत और इस्रइल के बीच राजनयिक रिश्तों के 25 साल पूरे होने के मौके पर मोदी चार जुलाई को इस्रइल की तीन दिवसीय यात्रा पर आएंगे। नेतन्याहू ने जोर दिया कि मेरे मित्र नरेंद्र मोदी की आगामी यात्रा के दौरान दुनिया में खासकर एक प्रौद्योगिकी दिग्गज के तौर पर इस्रइल की बढ़ती स्वीकार्यता पूरे भाव से सामने आने वाली है।
• नेतन्याहू हवाईअड्डे पर मोदी का अभिनंदन करेंगे। यह एक विशेष शिष्टाचार अभिनंदन है जो सिर्फ पोप एवं अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए किया जाता है।
• इस्रइली प्रधानमंत्री मोदी के लिए विशेष रात्रिभोज का भी आयोजन करेंगे।
• नेतन्याहू पांच जुलाई को सामुदायिक स्वागत समारोह समेत अधिकतर कार्यक्रमों में मोदी के साथ होंगे।
• मोदी हैफा में इंडियन सिमेट्री में भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देंगे।
• मोदी 26/11 मुंबई आतंकी हमले में जीवित बचे होल्त्जबर्ग मोशे से भी मुलाकात करेंगे, जिन्हें उनकी भारतीय आया सांडा सैमुएल ने बचाया था।
• प्रधानमंत्री पांच जुलाई को इस्रइल के राष्ट्रपति रूवन रिवलिन और विपक्ष के नेता आईजैक हरजोग से भी मुलाकात करेंगे।
5. रिकार्ड पैदावार के बावजूद बढ़ रही है अनाज की मांग
• मौजूदा समय में कृषि से जुड़ी है 55 फीसद आबादीवर्ष 2020 तक घटकर 33ù रह जाएगी यह आबादीइससे कृषि कायरे के लिए हो जाएगी श्रमिकों की कमी
• इस वर्ष अनाज का रिकार्ड उत्पादन होने का जिक्र करते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि अनाज की मांग बढ़ रही है और अनुमान लगाया गया है कि 2025 तक हमें 30 करोड़ टन से ज्यादा अनाज उत्पादन करना होगा।
• कृषि मंत्री ने कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार 54.6 फीसद लोग कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए हैं जो 2020 तक घटकर 33 फीसद रह जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है। संसदीय परामर्शदात्री समिति की अंतर सत्र बैठक को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि यह आंकड़े दर्शाते है कि कृषि कायरे के महत्वपूर्ण समय जैसे कि बुवाई और कटाई हेतु श्रमिकों की कमी होगी और इसका उत्पादन पर प्रतिकूल असर होगा।
• इस प्रकार, विभिन्न कृषि कार्यों के लिए ऊर्जा की अतिरिक्त मांग को कृषि मशीनीकरण के माध्यम से पूरा किया जाना होगा और इसके लिए कृषि यंत्रीकरण सेक्टर को तेजी से बढ़ने की जरूरत है।
• भारत में औसत कृषि आकार 1.16 हेक्टेयर है जो यूरोपीय संघ (14 हेक्टेयर) और संयुक्त राज्य अमेरिका (170 हेक्टेयर) की तुलना मे काफी छोटा है ।
• 63 फीसद फार्म होल्डिंग एक हेक्टर से नीचे हैं जिसकी कृषि संचालित क्षेत्र मे 19 फीसद हिस्सेदारी है। जबकि लगभग 86 फीसद फार्म होल्डिंग्स 2 हेक्टेयर के नीचे है जिसकी कृषि संचालित क्षेत्र में हिस्सेदारी लगभग 40 फीसद है।
• कृषि मंत्री ने कहा कि परिचालन खेत जोत का विखंडन एक प्रमुख चिंता का विषय बना हुआ है क्योंकि जोत का औसत आकार सन 1970-71 में जो 2.82 हेक्टेयर था वह 2010-11 में घटकर 1.1 हेक्टेयर हो गया है। परिचालन खेत जोत का औसत धारण आकार साल 2030 और 2050 में क्रमश: 0.32 और 0.24 हेक्टेयर होने का अनुमान है।
• राधामोहन सिंह ने कहा कि औसत जोत आकार में निरंतर संकुचन के कारण, अधिक खेत प्रतिकूल श्रेणी में आ जाएंगे जिससे कृषि मशीनरी के व्यक्तिगत स्वामित्व को धीरे-धीरे और अधिक अनौपचारिक बना देगा। इसलिए छोटे खेतों के लिए पर्याप्त कृषि शक्ति की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती होगी।
• सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार उन्होंने कहा कि कृषि यंत्रीकरण क्षेत्र की अन्य चुनौतियां ये हैं कि कैसे कौशल बाधाओं को दूर किया जाए ताकि आधुनिक प्रौद्योगिकी को पर्याप्त रूप से समर्थन प्राप्त हो।
• भविष्य में जीवाश्म ईधन की कम उपलब्धता और उस पर अधिक लागत के कारण उर्जा की कमी और पर्यावरणीय गिरावट की उपेक्षा किए बिना कृषि यंत्रीकरण का सतत विकास सुनिश्चित करने की संभावनाओ का संपर्क स्थापित करना आवश्यक होगा।
• उन्होंने कहा कि 2012-13 एवं 2013-14 में कृषि यंत्रीकरण पर दो छोटी योजनाएं चलाई जा रही थीं जिसके लिए आवंटन क्रमश: मात्र रपए 24.10 करोड़ एवं 38.49 करोड़ रपए था।
• परन्तु कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा कृषि यंत्रीकरण की महत्ता को ध्यान में रखकर देश में कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्ष 2014-15 से कृषि यंत्रीकरण उपमिशन प्रारम्भ किया गया है, जिसका उदेश्य छोटे और सीमान्त किसानों तथा उन क्षेत्रों में जहां कृषि यंत्रों की उपलब्धता कम है, वहां कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देना है।
6. शुरुआती अड़चनें दूर हों तो जीएसटी लॉजिस्टिक्स उद्योग के लिए फायदेमंद
• भारत की लॉजिस्टिक्स कंपनियां क्रांतिकारी जीएसटी व्यवस्था को अपनाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। यह सर्वस्वीकृत तथ्य है कि लॉजिस्टिक्स उद्योग पर जीएसटी का प्रत्यक्ष तथा तत्काल प्रभाव पड़ेगा।
• लॉजिस्टिक्स में कस्टम क्लियरेंस, फ्रेट फॉरवर्डिग, वेयरहाउसिंग, डिस्ट्रीब्यूशन तथा सप्लाई चेन सभी आ जाते हैं। सरकार का अनुमान है कि जीएसटी से कंपनियों को तकरीबन 14 अरब डॉलर की बचत होगी, क्योंकि इससे उन्हें अपने गोदामों तथा सप्लाई चेन के कुशलतापूर्वक उपयोग का मौका मिलेगा।
• जीएसटी लागू होने से फर्मे सामान की ढुलाई एक से दूसरे राज्य को करने के बजाय ‘हब एंड स्पोक’ पद्धति (सामान को पहले एक जगह एकत्र करने के बाद वहां से हर तरफ उसकी आपूर्ति) से करेंगी।
• विकसित देशों मेंइसी पद्धति से सामान की ढुलाई होती है। इससे लॉजिस्टिक्स तथा परिवहन की लागत घटने के अलावा समय की भी बचत होगी। इसका फायदा आयातकों तथा निर्यातकों को भी मिलेगा।
• चूंकि भारतीय निर्माताओं, निर्यातकों तथा अंतिम उपयोगकर्ताओं को इससे लाभ होगा, लिहाजा विश्व बाजार में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा शक्ति काफी बढ़ जाएगी।
• जीएसटी का कार्यान्वयन अत्यंत उपयुक्त समय में हो रहा है। इसका श्रेय सरकार की मेक इन इंडिया, सिंगिल विंडो कस्टम क्लियरेंस, ईज ऑफ डुइंग बिजनेस, स्टार्ट अप इंडिया जैसी स्कीमों तथा घरेलू खपत को बढ़ावा देने व निर्यात को किफायती बनाने के उपायों को जाता है, जिनका लंबे समय में जबरदस्त फायदा मिलने वाला है। लेकिन इन उपयुक्त इंफ्रास्ट्रक्चर, कार्गो की निर्बाध आवाजाही तथा पूरे देश में समान कर नीति के जरिये इन कदमों को और सुदृढ़ बनाए जाने की जरूरत है।
• जीएसटी से न केवल टैक्स के ऊपर टैक्स का व्यापक प्रभाव कम होगा, बल्कि भंडारण और वितरण की सुदृढ़ व्यवस्था के चलते कार्गो की आवाजाही भी निर्बाध व तीव्र होगी।
• अध्ययनों से पता चलता है कि एंट्री टैक्स, चुंगी, व्यापार कर जैसी व्यापारिक बाधाओं के परिणामस्वरूप सामान को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में ट्रकों का 30 से 40 फीसद तक अतिरिक्त वक्त बर्बाद होता है। जीएसटी लागू होने से इसमें कमी आने की उम्मीद है, क्योंकि राज्यों के बीच चेक पोस्टं खत्म होने हो जाएंगी।
• विश्व बैंक के मुताबिक जीएसटी से भारतीय उद्योग घरानों की लॉजिस्टिक्स लागत 30-40 फीसद तक घट जाएगी।
• इसके ई-वे बिल के कार्यान्वयन को लेकर उद्योग की कुछ चिंताएं हैं। जब तक ई-वे बिल प्रणाली पूरे देश में सही ढंग से लागू नहीं हो जाती, तब तक जीएसटी का पूरा लाभ नहीं मिलने वाला।
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