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दैनिक समसामयिकी
09 July 2017(Sunday)
*1.जी-20 सम्मेलन के दौरान ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे से की मुलाकात*
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे से ललित मोदी और विजय माल्या के प्रत्यर्पण में मदद करने का आग्रह किया है।
• भारत से भागे शराब कारोबारी विजय माल्या और इंडियन प्रीमियर क्रि केट लीग के पूर्व प्रमुख ललित मोदी जैसे लोगों को भारत वापस लाने के लिए की रही कड़ी कवायद के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे से यह अपील की।
• उन्होंने कहा कि मोदी और माल्या भारत में आर्थिक अपराध के मामलों में कानूनी कार्रवाई से बचकर ब्रिटेन भागे हैं। थेरेसा को चाहिए कि वह इन भारतीय नागरिकों के प्रत्यर्पण में अपने देश का सहयोग सुनिश्चित करें।
• विजय माल्या पिछले कई महीनों से ब्रिटेन में रह रहे हैं, उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी है। ब्रिटेन से उनको भारत भेजने के मामले में लंदन की एक अदालत में सुनवाई चल रही है। मोदी की यहां जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिटेन की प्रधानमंत्री के साथ अलग से बैठक हुई ।
• इस बैठक में भगोड़े अभियुक्तों को भारत को सौंपने के मामलों में ब्रिटेन की मदद मांगी गई। दोनों नेताओं ने विभिन्न क्षेत्रों में भारत और ब्रिटेन के संबंधों पर र्चचा की।
• विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने बैठक के बाद ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री ने भागे हुए भारतीय आर्थिक अपराधियों को लौटाने में ब्रिटेन के सहयोग से लिए कहा।
*2. चीन से तनातनी पर ‘लुक ईस्ट’ को नई धार*
• चीन के साथ सिक्किम-भूटान विवाद गहराने के साथ ही भारत की लुक ईस्ट नीति को भी नई धार देने की प्रक्रिया तेज हो गई है। जी-20 समूह बैठक के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने एशिया के तीन ऐसे देशों के प्रमुखों से मुलाकात की है जो समान तौर पर चीन की साम्राज्यवादी नीतियों से भयभीत हैं।
• इधर, नई दिल्ली में म्यांमार के सेना प्रमुख मिन आंग लाइंग की जोरदार स्वागत की भी तैयारी है। दो महीने बाद भारत व जापान की सालाना बैठक भी है जिसमें इनके बीच नए रणनीतिक समझौतों का एलान होगा। साथ ही वियतनाम, थाइलैंड और इंडोनेशिया के साथ भारत के नए सैन्य अभ्यास की तैयारी भी जोरों पर है।
• पीएम मोदी ने शनिवार को हैम्बर्ग (जी-20) की बैठक के दौरान जापान के पीएम शिंजो एबी, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-ईन और वियतनाम के पीएम उयेन शुआन फुक से मुलाकात की।
• भारत की लुक ईस्ट नीति के ये तीनों देश अहम साझीदार हैं। इन तीनों देशों के अलावा मोदी ने पांच अन्य देशों के प्रमुखों से भी द्विपक्षीय मुलाकात की है और तमाम आपसी व वैश्विक मसलों पर बातचीत की है। इन सभी देशों के साथ बैठक में परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के संगठन एनएसजी में प्रवेश का मुद्दा समान तौर पर उठा है। साथ ही द्विपक्षीय मसलों पर भी इन देशों के साथ मोदी की बातचीत हुई है लेकिन जापान, दक्षिण कोरिया और वियतनाम का अपना अलग महत्व है।
• ये तीनों देश भारत की लुक ईस्ट नीति का अहम हिस्सा हैं और मौजूदा केंद्र सरकार इन तीनों देशों के साथ रिश्तों को नए तरीके से आगे बढ़ाने में जुटी है। क सर्किल में भारत की तरफ से पूर्वी एशियाई देशों के साथ रिश्तों को नई गर्माहट देने की हो रही कोशिशों को चीन को अलग-थलग करने के तौर पर देखा जा रहा है।
• भारत की लुक ईस्ट नीति के तमाम परिणाम भी हाल के दिनों में दिखने शुरु हो गए हैं। पिछले महीने ही जापान की संसद ने भारत को परमाणु तकनीकी व उपकरण देने का कानून पास किया है। सितंबर, 2017 में पीएम शिंजो एबी भारत-जापान की सालाना बैठक में हिस्सा लेने आने वाले हैं जहां परमाणु सहयोग पर आगे का रोडमैप बनेगा।
• चीन की आक्रामक नीतियों से परेशान वियतनाम ने अब भारत को सीधे यह संदेश देना शुरू कर दिया है कि वह द्विपक्षीय रिश्तों को नया आयाम देने को तैयार है। यही वजह है कि चीन की तमाम आपत्तियों के बावजूद वियतनाम ने दक्षिण चीन सागर में भारतीय कंपनी ओएनजीसी को दिए गए तेल ब्लॉक की अवधि बढ़ा दी है।
• इस हफ्ते की शुरुआत में वियतनाम के डिप्टी पीएम व विदेश मंत्री फाम बिन मिन भारत आये थे और यहां उनकी अधिकारियों के साथ ‘आपसी रणनीतिक हितों’ की रक्षा करने के लिए ठोस कदम उठाने पर चर्चा हुई है।
• शुरुआती ङिाझक के बाद म्यांमार की नई सरकार भी अब भारत की लुक ईस्ट नीति को पूरी तवज्जो देने लगी है। यही वजह है कि भारत ने म्यांमार के सेना प्रमुख आंग लाइंग का जोरदार स्वागत करने की तैयारी की है।
*3. परमाणु हथियार प्रतिबंध संधि 122 देशों ने स्वीकारी*
• परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने से जुड़ी पहली नियंतण्र संधि की स्वीकृति के लिए संयुक्त राष्ट्र में 120 से अधिक देशों ने मतदान किया है। हालांकि, भारत, अमेरिका, चीन और पाकिस्तान सहित अन्य परमाणु क्षमता सम्पन्न देशों ने परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने की खातिर
कानूनी तौर पर बाध्यकारी व्यवस्था के लिए हुई वार्ताओं का बहिष्कार किया।
• परमाणु हथियार प्रतिबंध संधि परमाणु अप्रसार के लिए कानूनी तौर पर बाध्यकारी पहली बहुपक्षीय व्यवस्था है, जिसके लिए 20 साल से वार्ता चलती रही है। इस संधि पर शुक्रवार को गर्मजोशी और तारीफ के बीच मतदान हुआ, जिसमें इसके पक्ष में 122 देशों ने वोट किया।
• इस संधि के विरोध में सिर्फ एक देश नीदरलैंड्स ने वोट किया जबकि एक देश-सिंगापुर मतदान से दूर रहा। परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध के मकसद से कानूनी तौर पर बाध्यकारी व्यवस्था पर वार्ता के लिए इस साल मार्च में एक विशेष सत्र आयोजित किया गया था ।
• वार्ता के लिए एक सम्मेलन बुलाने के लिए पिछले साल अक्तूबर में 120 से ज्यादा देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक प्रस्ताव पर मतदान किया था। भारत ने इस प्रस्ताव पर मतदान से खुद को दूर रखा था।
• अक्टूबर में प्रस्ताव पर वोट से दूर रहने को लेकर दिए गए अपने स्पष्टीकरण में भारत ने कहा था कि वह इस बात से सहमत नहीं है कि प्रस्तावित सम्मेलन परमाणु निरस्त्रीकरण पर एक समग्र व्यवस्था कायम करने को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की लंबे समय से रही अपेक्षा पर खरा उतर पाएगा । भारत ने यह भी कहा था कि जिनेवा स्थित निरस्त्रीकरण पर सम्मेलन (सीडी) निरस्त्रीकरण पर र्चचा के लिए एकमात्र बहुपक्षीय मंच है । उसने कहा था कि वह परमाणु हथियारों पर समग्र सम्मेलन (सीएनडब्ल्यूसी) पर सीडी में वार्ता की शुरुआत का समर्थन करता है।
• सीएनडब्ल्यूसी में प्रतिबंध और विलोपन के अलावा सत्यापन भी शामिल है । सितम्बर में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में इस संधि पर सभी देश दस्तखत कर सकेंगे। कम से कम 50 देशों द्वारा अनुमोदित किए जाने के बाद यह संधि प्रभावी हो जाएगी।
• अमेरिका, रूस और अन्य परमाणु क्षमता संपन्न देशों के साथ-साथ उनके कई सहयोगी देशों ने भी वार्ता से दूरी बनाए रखी । उत्तर कोरिया ने भी वार्ता में हिस्सा नहीं लिया ।
• अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के स्थायी प्रतिनिधियों ने एक संयुक्त प्रेस बयान में कहा कि उन्होंने संधि की वार्ता में हिस्सा नहीं लिया है और इस पर दस्तखत, इसके अनुमोदन या कभी इससे जुड़ा पक्ष बनने का कोई इरादा नहीं रखते। यह पहल अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा माहौल की हकीकत का साफ तौर पर अनादर करती है।
*4. फ्रांस में जलवायु परिवर्तन पर सम्मेलन दिसम्बर में*
• फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल माकरेन ने कहा कि वर्ष 2015 में पेरिस जलवायु समझौते की प्रगति और उससे जुड़े वित्तीय मामलों पर इस वर्ष 12 दिसंबर को पेरिस में एक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।
• माकरेन ने बताया कि दो वर्ष पहले हुए पेरिस जलवायु समझौते के बाद अब इस वर्ष दिसंबर में एक बार फिर इससे जुड़े विभिन्न विषयों पर र्चचा की जाएगी, खासकर वित्तीय मसलों पर प्रमुखता से बातचीत की जाएगी।
• उन्होंने कहा कि इस शिखर बैठक का मुख्य मकसद पेरिस समझौते के निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में निजी तथा सरकारी क्षेत्रों से धन की व्यवस्था करना है।
• ट्रंप ने जलवायु परिवर्तन पर महत्वपूर्ण रियायत हासिल की : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जी20 शिखर सम्मेलन में जलवायु और व्यापार पर विश्व नेताओं से महत्वपूर्ण रियायत हासिल की। उन्होंने यह रियायत बड़े औद्योगिक और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह की एकता की रक्षा के बदले में हासिल की।
• सभी 20 अर्थव्यवस्थाओं द्वारा सहमत अंतिम वक्तव्य में रूस, चीन और यूरोपीय संघ समेत 19 सदस्यों ने 2015 के पेरिस जलवायु समझौते से बाहर निकलने के ट्रंप के फैसले को स्वीकार किया। लेकिन उन्होंने अधिक स्वच्छ और प्रभावी जीवाश्म ईधनों तक उनकी पहुंच और इस्तेमाल में अन्य देशों की मदद करने में करीब से काम करने की वाशिंगटन की इच्छा को शामिल किया।
• एक महत्वपूर्ण संरक्षणवाद रोधी संकल्प का नवीकरण करते हुए घोषणापत्र में पहली बार वैध व्यापार रक्षा माध्यमों से अपने बाजारों की रक्षा के देशों के अधिकार पर जोर दिया गया। इस तरह के शब्द अमेरिका पहले की ट्रंप की नीति को आगे बढ़ाने की गुंजाइश देते हैं।
• अमेरिका के बड़े क्षेत्रों में अनौद्योगिकरण को लेकर जनता की नाराजगी के मद्देनजर ट्रंप ने अमेरिकी सामान खरीदने और अमेरिकियों को काम पर रखने का वायदा किया था। लेकिन इस रुख ने उन्हें अमेरिका के कई सहयोगियों के खिलाफ खड़ा कर दिया था। उन्होंने अलग-थलग पड़ने की राह पर चलने के लिए ट्रंप को चेतावनी दी थी।
*5. जलवायु परिवर्तन की लड़ाई में अग्रणी बन रहा भारत*
• विश्व बैंक ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ नियंतण्र लड़ाई में भारत अग्रणी देश बनकर उभर रहा है। उसने कहा कि एशियाई देशों में ऊर्जा के स्रेत के तौर पर सौर ऊर्जा धीरे-धीरे कोयले का स्थान ले रही है।
• विश्व बैंक ने शुक्रवार को प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट में कहा, अपने लोगों को 2030 तक चौबीसों घंटे बिजली उपलब्ध कराने के लिए सौ
र ऊर्जा की ओर प्रतिबद्धता, नवोन्मेषी समाधान और उर्जा दक्षता पहलों के साथ भारत जलवायु परिवर्तन के खिलाफ नियंतण्र लड़ाई में अग्रणी बनकर उभर रहा है।
• विश्व बैंक के अनुसार, अपनी वृद्धि को बढ़ाने के लिए और अधिक स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल करने की सचेत पसंद के साथ ही भारत जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से धरती को बचाने के नियंतण्र प्रयासों में योगदान दे रहा है।
• रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ सप्ताह पहले देश ने कोयले से चलने वाले 14 गीगावॉट क्षमता वाले बिजली संयंत्र स्थापित करने की योजना से कदम पीछे खींच लिए, क्योंकि अब सौर उर्जा से बिजली पैदा करने में वहन करने योग्य लागत आती है।
• रिपोर्ट में इस संबंध में भारत के कदमों की तारीफ की गई है। बैंक ने कहा, भारत और उसके अलावा ऊर्जा के स्रेत के रूप में सौर उर्जा कोयले की जगह ले रही है। उसने कहा कि सौर फोटोवॉल्टेक (पीवी) से बिजली पैदा करने की लागत वर्ष 2009 के मुकाबले एक चौथाई कम है और वर्ष 2040 तक इसके 66 फीसद तक और कम होने की संभावना है।
• रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में साल में करीब 300 दिन धूप निकलती है इसलिए भारत में सौर ऊर्जा का फायदा उठाने और इसका इस्तेमाल करने के लिए दुनिया में सबसे अच्छी परिस्थितियां हैं। विश्व बैंक ने कहा कि भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी परियोजनाएं बनाई हैं, जिसमें वर्ष 2022 तक पवन चक्की और सौर ऊर्जा से 160 गीगावॉट तक बिजली पैदा करने का लक्ष्य शामिल है।
• इससे न केवल लाखों लोगों के घरों में रोशनी होगी, बल्कि बच्चे रात को पढ़ाई भी कर पाएंगे, लोग अपने खाने को रेफ्रि जिरेटर में संरक्षित कर पाएंगे या टीवी पर अपना मनोरंजन कर पाएंगे। बैंक ने कहा, यह अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भारत के सौर बाजार में निवेश करने का भी अच्छा मौका है।
*6. अमेरिका करेगा एंटी बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम 'थाड' का परीक्षण, दक्षिण कोरिया में तैनाती की योजना*
• अमेरिका जल्द ही एंटी बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम का परीक्षण करेगा। माना जा रहा है कि उत्तर कोरिया ने जिस मिसाइल का परीक्षण किया था, वह अमेरिकी के अलास्का तक को निशाना बना सकता है।
• अमेरिका टर्मिनल हाई ऐल्टिट्यूड एरिया डिफेंस (थाड) सिस्टम की टेस्टिंग करने जा रहा है, जो अमेरिका की तरफ आने वाले किसी भी बैलिस्टिक मिसाइल को हवा में मार गिराएगा।
• अमेरिका की मिसाइल डिफेंस एजेंसी (एमडीए) ने बताया कि अलास्का के पेसिफिक स्पेसपोर्ट कॉम्प्लैक्स में इस सिस्टम का परीक्षण करेगा। थाड जुलाई के शुरुआती दिनों में थाड इंटरसेप्टर रॉकेट के साथ लक्ष्य का पता लगाएगा और उसे अपने निशाने पर लेगा।
• हालांकि थाड आईसीबीएम मिसाइल को रोकने में सक्षम नहीं है। अमेरिका सेना ने इस साल की शुरुआत में थाड को दक्षिण कोरिया में तैनात करना शुरू कर दिया है। वहीं, चीन का कहना है कि इस तैनाती से कोरियाई प्रायद्वीप में स्थिति और अस्थिर होगी।
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दैनिक समसामयिकी
09 July 2017(Sunday)
*1.जी-20 सम्मेलन के दौरान ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे से की मुलाकात*
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे से ललित मोदी और विजय माल्या के प्रत्यर्पण में मदद करने का आग्रह किया है।
• भारत से भागे शराब कारोबारी विजय माल्या और इंडियन प्रीमियर क्रि केट लीग के पूर्व प्रमुख ललित मोदी जैसे लोगों को भारत वापस लाने के लिए की रही कड़ी कवायद के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे से यह अपील की।
• उन्होंने कहा कि मोदी और माल्या भारत में आर्थिक अपराध के मामलों में कानूनी कार्रवाई से बचकर ब्रिटेन भागे हैं। थेरेसा को चाहिए कि वह इन भारतीय नागरिकों के प्रत्यर्पण में अपने देश का सहयोग सुनिश्चित करें।
• विजय माल्या पिछले कई महीनों से ब्रिटेन में रह रहे हैं, उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी है। ब्रिटेन से उनको भारत भेजने के मामले में लंदन की एक अदालत में सुनवाई चल रही है। मोदी की यहां जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिटेन की प्रधानमंत्री के साथ अलग से बैठक हुई ।
• इस बैठक में भगोड़े अभियुक्तों को भारत को सौंपने के मामलों में ब्रिटेन की मदद मांगी गई। दोनों नेताओं ने विभिन्न क्षेत्रों में भारत और ब्रिटेन के संबंधों पर र्चचा की।
• विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने बैठक के बाद ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री ने भागे हुए भारतीय आर्थिक अपराधियों को लौटाने में ब्रिटेन के सहयोग से लिए कहा।
*2. चीन से तनातनी पर ‘लुक ईस्ट’ को नई धार*
• चीन के साथ सिक्किम-भूटान विवाद गहराने के साथ ही भारत की लुक ईस्ट नीति को भी नई धार देने की प्रक्रिया तेज हो गई है। जी-20 समूह बैठक के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने एशिया के तीन ऐसे देशों के प्रमुखों से मुलाकात की है जो समान तौर पर चीन की साम्राज्यवादी नीतियों से भयभीत हैं।
• इधर, नई दिल्ली में म्यांमार के सेना प्रमुख मिन आंग लाइंग की जोरदार स्वागत की भी तैयारी है। दो महीने बाद भारत व जापान की सालाना बैठक भी है जिसमें इनके बीच नए रणनीतिक समझौतों का एलान होगा। साथ ही वियतनाम, थाइलैंड और इंडोनेशिया के साथ भारत के नए सैन्य अभ्यास की तैयारी भी जोरों पर है।
• पीएम मोदी ने शनिवार को हैम्बर्ग (जी-20) की बैठक के दौरान जापान के पीएम शिंजो एबी, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-ईन और वियतनाम के पीएम उयेन शुआन फुक से मुलाकात की।
• भारत की लुक ईस्ट नीति के ये तीनों देश अहम साझीदार हैं। इन तीनों देशों के अलावा मोदी ने पांच अन्य देशों के प्रमुखों से भी द्विपक्षीय मुलाकात की है और तमाम आपसी व वैश्विक मसलों पर बातचीत की है। इन सभी देशों के साथ बैठक में परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के संगठन एनएसजी में प्रवेश का मुद्दा समान तौर पर उठा है। साथ ही द्विपक्षीय मसलों पर भी इन देशों के साथ मोदी की बातचीत हुई है लेकिन जापान, दक्षिण कोरिया और वियतनाम का अपना अलग महत्व है।
• ये तीनों देश भारत की लुक ईस्ट नीति का अहम हिस्सा हैं और मौजूदा केंद्र सरकार इन तीनों देशों के साथ रिश्तों को नए तरीके से आगे बढ़ाने में जुटी है। क सर्किल में भारत की तरफ से पूर्वी एशियाई देशों के साथ रिश्तों को नई गर्माहट देने की हो रही कोशिशों को चीन को अलग-थलग करने के तौर पर देखा जा रहा है।
• भारत की लुक ईस्ट नीति के तमाम परिणाम भी हाल के दिनों में दिखने शुरु हो गए हैं। पिछले महीने ही जापान की संसद ने भारत को परमाणु तकनीकी व उपकरण देने का कानून पास किया है। सितंबर, 2017 में पीएम शिंजो एबी भारत-जापान की सालाना बैठक में हिस्सा लेने आने वाले हैं जहां परमाणु सहयोग पर आगे का रोडमैप बनेगा।
• चीन की आक्रामक नीतियों से परेशान वियतनाम ने अब भारत को सीधे यह संदेश देना शुरू कर दिया है कि वह द्विपक्षीय रिश्तों को नया आयाम देने को तैयार है। यही वजह है कि चीन की तमाम आपत्तियों के बावजूद वियतनाम ने दक्षिण चीन सागर में भारतीय कंपनी ओएनजीसी को दिए गए तेल ब्लॉक की अवधि बढ़ा दी है।
• इस हफ्ते की शुरुआत में वियतनाम के डिप्टी पीएम व विदेश मंत्री फाम बिन मिन भारत आये थे और यहां उनकी अधिकारियों के साथ ‘आपसी रणनीतिक हितों’ की रक्षा करने के लिए ठोस कदम उठाने पर चर्चा हुई है।
• शुरुआती ङिाझक के बाद म्यांमार की नई सरकार भी अब भारत की लुक ईस्ट नीति को पूरी तवज्जो देने लगी है। यही वजह है कि भारत ने म्यांमार के सेना प्रमुख आंग लाइंग का जोरदार स्वागत करने की तैयारी की है।
*3. परमाणु हथियार प्रतिबंध संधि 122 देशों ने स्वीकारी*
• परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने से जुड़ी पहली नियंतण्र संधि की स्वीकृति के लिए संयुक्त राष्ट्र में 120 से अधिक देशों ने मतदान किया है। हालांकि, भारत, अमेरिका, चीन और पाकिस्तान सहित अन्य परमाणु क्षमता सम्पन्न देशों ने परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने की खातिर
कानूनी तौर पर बाध्यकारी व्यवस्था के लिए हुई वार्ताओं का बहिष्कार किया।
• परमाणु हथियार प्रतिबंध संधि परमाणु अप्रसार के लिए कानूनी तौर पर बाध्यकारी पहली बहुपक्षीय व्यवस्था है, जिसके लिए 20 साल से वार्ता चलती रही है। इस संधि पर शुक्रवार को गर्मजोशी और तारीफ के बीच मतदान हुआ, जिसमें इसके पक्ष में 122 देशों ने वोट किया।
• इस संधि के विरोध में सिर्फ एक देश नीदरलैंड्स ने वोट किया जबकि एक देश-सिंगापुर मतदान से दूर रहा। परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध के मकसद से कानूनी तौर पर बाध्यकारी व्यवस्था पर वार्ता के लिए इस साल मार्च में एक विशेष सत्र आयोजित किया गया था ।
• वार्ता के लिए एक सम्मेलन बुलाने के लिए पिछले साल अक्तूबर में 120 से ज्यादा देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक प्रस्ताव पर मतदान किया था। भारत ने इस प्रस्ताव पर मतदान से खुद को दूर रखा था।
• अक्टूबर में प्रस्ताव पर वोट से दूर रहने को लेकर दिए गए अपने स्पष्टीकरण में भारत ने कहा था कि वह इस बात से सहमत नहीं है कि प्रस्तावित सम्मेलन परमाणु निरस्त्रीकरण पर एक समग्र व्यवस्था कायम करने को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की लंबे समय से रही अपेक्षा पर खरा उतर पाएगा । भारत ने यह भी कहा था कि जिनेवा स्थित निरस्त्रीकरण पर सम्मेलन (सीडी) निरस्त्रीकरण पर र्चचा के लिए एकमात्र बहुपक्षीय मंच है । उसने कहा था कि वह परमाणु हथियारों पर समग्र सम्मेलन (सीएनडब्ल्यूसी) पर सीडी में वार्ता की शुरुआत का समर्थन करता है।
• सीएनडब्ल्यूसी में प्रतिबंध और विलोपन के अलावा सत्यापन भी शामिल है । सितम्बर में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में इस संधि पर सभी देश दस्तखत कर सकेंगे। कम से कम 50 देशों द्वारा अनुमोदित किए जाने के बाद यह संधि प्रभावी हो जाएगी।
• अमेरिका, रूस और अन्य परमाणु क्षमता संपन्न देशों के साथ-साथ उनके कई सहयोगी देशों ने भी वार्ता से दूरी बनाए रखी । उत्तर कोरिया ने भी वार्ता में हिस्सा नहीं लिया ।
• अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के स्थायी प्रतिनिधियों ने एक संयुक्त प्रेस बयान में कहा कि उन्होंने संधि की वार्ता में हिस्सा नहीं लिया है और इस पर दस्तखत, इसके अनुमोदन या कभी इससे जुड़ा पक्ष बनने का कोई इरादा नहीं रखते। यह पहल अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा माहौल की हकीकत का साफ तौर पर अनादर करती है।
*4. फ्रांस में जलवायु परिवर्तन पर सम्मेलन दिसम्बर में*
• फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल माकरेन ने कहा कि वर्ष 2015 में पेरिस जलवायु समझौते की प्रगति और उससे जुड़े वित्तीय मामलों पर इस वर्ष 12 दिसंबर को पेरिस में एक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।
• माकरेन ने बताया कि दो वर्ष पहले हुए पेरिस जलवायु समझौते के बाद अब इस वर्ष दिसंबर में एक बार फिर इससे जुड़े विभिन्न विषयों पर र्चचा की जाएगी, खासकर वित्तीय मसलों पर प्रमुखता से बातचीत की जाएगी।
• उन्होंने कहा कि इस शिखर बैठक का मुख्य मकसद पेरिस समझौते के निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में निजी तथा सरकारी क्षेत्रों से धन की व्यवस्था करना है।
• ट्रंप ने जलवायु परिवर्तन पर महत्वपूर्ण रियायत हासिल की : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जी20 शिखर सम्मेलन में जलवायु और व्यापार पर विश्व नेताओं से महत्वपूर्ण रियायत हासिल की। उन्होंने यह रियायत बड़े औद्योगिक और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह की एकता की रक्षा के बदले में हासिल की।
• सभी 20 अर्थव्यवस्थाओं द्वारा सहमत अंतिम वक्तव्य में रूस, चीन और यूरोपीय संघ समेत 19 सदस्यों ने 2015 के पेरिस जलवायु समझौते से बाहर निकलने के ट्रंप के फैसले को स्वीकार किया। लेकिन उन्होंने अधिक स्वच्छ और प्रभावी जीवाश्म ईधनों तक उनकी पहुंच और इस्तेमाल में अन्य देशों की मदद करने में करीब से काम करने की वाशिंगटन की इच्छा को शामिल किया।
• एक महत्वपूर्ण संरक्षणवाद रोधी संकल्प का नवीकरण करते हुए घोषणापत्र में पहली बार वैध व्यापार रक्षा माध्यमों से अपने बाजारों की रक्षा के देशों के अधिकार पर जोर दिया गया। इस तरह के शब्द अमेरिका पहले की ट्रंप की नीति को आगे बढ़ाने की गुंजाइश देते हैं।
• अमेरिका के बड़े क्षेत्रों में अनौद्योगिकरण को लेकर जनता की नाराजगी के मद्देनजर ट्रंप ने अमेरिकी सामान खरीदने और अमेरिकियों को काम पर रखने का वायदा किया था। लेकिन इस रुख ने उन्हें अमेरिका के कई सहयोगियों के खिलाफ खड़ा कर दिया था। उन्होंने अलग-थलग पड़ने की राह पर चलने के लिए ट्रंप को चेतावनी दी थी।
*5. जलवायु परिवर्तन की लड़ाई में अग्रणी बन रहा भारत*
• विश्व बैंक ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ नियंतण्र लड़ाई में भारत अग्रणी देश बनकर उभर रहा है। उसने कहा कि एशियाई देशों में ऊर्जा के स्रेत के तौर पर सौर ऊर्जा धीरे-धीरे कोयले का स्थान ले रही है।
• विश्व बैंक ने शुक्रवार को प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट में कहा, अपने लोगों को 2030 तक चौबीसों घंटे बिजली उपलब्ध कराने के लिए सौ
र ऊर्जा की ओर प्रतिबद्धता, नवोन्मेषी समाधान और उर्जा दक्षता पहलों के साथ भारत जलवायु परिवर्तन के खिलाफ नियंतण्र लड़ाई में अग्रणी बनकर उभर रहा है।
• विश्व बैंक के अनुसार, अपनी वृद्धि को बढ़ाने के लिए और अधिक स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल करने की सचेत पसंद के साथ ही भारत जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से धरती को बचाने के नियंतण्र प्रयासों में योगदान दे रहा है।
• रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ सप्ताह पहले देश ने कोयले से चलने वाले 14 गीगावॉट क्षमता वाले बिजली संयंत्र स्थापित करने की योजना से कदम पीछे खींच लिए, क्योंकि अब सौर उर्जा से बिजली पैदा करने में वहन करने योग्य लागत आती है।
• रिपोर्ट में इस संबंध में भारत के कदमों की तारीफ की गई है। बैंक ने कहा, भारत और उसके अलावा ऊर्जा के स्रेत के रूप में सौर उर्जा कोयले की जगह ले रही है। उसने कहा कि सौर फोटोवॉल्टेक (पीवी) से बिजली पैदा करने की लागत वर्ष 2009 के मुकाबले एक चौथाई कम है और वर्ष 2040 तक इसके 66 फीसद तक और कम होने की संभावना है।
• रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में साल में करीब 300 दिन धूप निकलती है इसलिए भारत में सौर ऊर्जा का फायदा उठाने और इसका इस्तेमाल करने के लिए दुनिया में सबसे अच्छी परिस्थितियां हैं। विश्व बैंक ने कहा कि भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी परियोजनाएं बनाई हैं, जिसमें वर्ष 2022 तक पवन चक्की और सौर ऊर्जा से 160 गीगावॉट तक बिजली पैदा करने का लक्ष्य शामिल है।
• इससे न केवल लाखों लोगों के घरों में रोशनी होगी, बल्कि बच्चे रात को पढ़ाई भी कर पाएंगे, लोग अपने खाने को रेफ्रि जिरेटर में संरक्षित कर पाएंगे या टीवी पर अपना मनोरंजन कर पाएंगे। बैंक ने कहा, यह अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भारत के सौर बाजार में निवेश करने का भी अच्छा मौका है।
*6. अमेरिका करेगा एंटी बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम 'थाड' का परीक्षण, दक्षिण कोरिया में तैनाती की योजना*
• अमेरिका जल्द ही एंटी बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम का परीक्षण करेगा। माना जा रहा है कि उत्तर कोरिया ने जिस मिसाइल का परीक्षण किया था, वह अमेरिकी के अलास्का तक को निशाना बना सकता है।
• अमेरिका टर्मिनल हाई ऐल्टिट्यूड एरिया डिफेंस (थाड) सिस्टम की टेस्टिंग करने जा रहा है, जो अमेरिका की तरफ आने वाले किसी भी बैलिस्टिक मिसाइल को हवा में मार गिराएगा।
• अमेरिका की मिसाइल डिफेंस एजेंसी (एमडीए) ने बताया कि अलास्का के पेसिफिक स्पेसपोर्ट कॉम्प्लैक्स में इस सिस्टम का परीक्षण करेगा। थाड जुलाई के शुरुआती दिनों में थाड इंटरसेप्टर रॉकेट के साथ लक्ष्य का पता लगाएगा और उसे अपने निशाने पर लेगा।
• हालांकि थाड आईसीबीएम मिसाइल को रोकने में सक्षम नहीं है। अमेरिका सेना ने इस साल की शुरुआत में थाड को दक्षिण कोरिया में तैनात करना शुरू कर दिया है। वहीं, चीन का कहना है कि इस तैनाती से कोरियाई प्रायद्वीप में स्थिति और अस्थिर होगी।
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