दैनिक समसामयिकी
07 July 2017(Friday)
*1.12वां जी-20 शिखर सम्मेलन आज से : आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन प्रमुख मसले*
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विश्व की अन्य शीर्ष अर्थव्यवस्था वाले देशों के नेता शुक्रवार को जब यहां 12वां दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन के लिए एकत्रित होंगे तो आतंकवाद से मुकाबला, जलवायु परिवर्तन और विश्व व्यापार जैसे मुद्दे र्चचा के केंद्र में होंगे।
• सिक्किम में भारत और चीन की सेनाओं के बीच गतिरोध की पृष्ठभूमि में इस सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की किसी भी संभावित बैठक पर सभी की निगाहें टिकी होंगी।
• परस्पर संबद्ध दुनिया को एक आकार देने की (शेपिंग एन इंटर-कनेक्टेड र्वल्ड) थीम पर आधारित इस सम्मेलन का आयोजन ऐसे समय में किया जा रहा है जब इसमें हिस्सा लेने वाले कई संभावित नेताओं के बीच के मतभेद उभरकर सामने आ गए हैं।
• इनमें से अधिकतर मतभेद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा जलवायु परिवर्तन और मुक्त व्यापार को लेकर सार्वजनिक मंचों पर दी गई राय से संबंधित हैं।
• इस्रइल की यात्रा के बाद हैम्बर्ग पहुंच रहे प्रधानमंत्री मोदी ने भारत से अपने प्रस्थान के पहले फेसबुक पोस्ट में कहा था कि वह अन्य जी20 देशों के नेताओं के साथ विश्व को आज के समय में प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों पर र्चचा को लेकर आशान्वित हैं जो आर्थिक प्रगति, सतत विकास और शांति एवं स्थिरता को प्रभावित करते हैं।
• प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, विश्वभर के नेता पिछले साल हांगझोउ सम्मेलन में लिए गए फैसलों की प्रगति की समीक्षा करेंगे और आतंकवाद, जलवायु, सतत विकास, प्रगति और व्यापार, डिजिटलीकरण, स्वास्थ्य , रोजगार, आव्रजन, महिला सशक्तीकरण तथा अफ्रीका के साथ साझेदारी जैसे मुद्दों पर र्चचा करेंगे।
• उन्होंने कहा था कि वह आपसी हितों के द्विपक्षीय मुद्दों के आदान-प्रदान के लिए सम्मेलन से इतर नेताओं से मुलाकात के अवसर को लेकर आशान्वित हैं। मर्केल द्वारा विश्व नेताओं के स्वागत के साथ सम्मेलन की शुरुआत होगी।
• इसके बाद जी20 लीडर्स रिट्रीट होगा, जिसमें र्चचा का विषय है-‘‘आतंकवाद से मुकाबला।’इस सम्मेलन के पहले कार्य सत्र में नियंतण्र प्रगति और व्यापार एवं दूसरे सत्र में सतत विकास, जलवायु और ऊर्जा विषयों पर र्चचा होगी। विश्वभर के नेता शुक्रवार को एक संगीत कंसर्ट में हिस्सा लेंगे। इसके बाद उनके और जीवनसाथियों के लिए रात्रिभोज का आयोजन किया जाएगा।
• सम्मेलन के दूसरे दिन की शुरुआत तीसरे कार्यसत्र से होगी। इस सत्र में अफ्रीका के साथ साझेदारी, आवर्जन और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर र्चचा की जाएगी।
• आतंकवाद के अलावा आर्थिक सुधार जैसे मुद्दों के सम्मेलन में छाए रहने की संभावना है लेकिन साथ ही मुक्त और खुला व्यापार, आव्रजन, सतत विकास और वैश्विक स्थायित्व जैसे विषयों पर भी र्चचा की संभावना है।
• सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, तुर्की के राष्ट्रपति तैयब एदरेगन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रॉन समेत अन्य शीर्ष नेताओं के हिस्सा लेने की संभावना है।
• 19 देशों और यूरोपीय संघ के संगठन को ग्रुप ऑफ 20 कहा जाता है।
• अज्रेटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनिशया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका समूह के सदस्य हैं।
• हैम्बर्ग सम्मेलन की मेजबान और जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल की जन्मभूमि होने के साथ-साथ वामपंथी कट्टरपंथियों का सरकार विरोधी गढ़ भी है।
• सम्मेलन से पहले 30 प्रदर्शन होने की उम्मीद है, जिसमें पूंजीवाद विरोधी समूहों के सदस्यों समेत हजारों लोगों के हिस्सा लेने की संभावना है।
*2. जी-20 समिट में मोदी-शी मुलाकात की संभावना खत्म*
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जर्मनी के हैम्बर्ग में 7 और 8 जुलाई तक होने वाली जी-20 समिट के दौरान 8 देशों के नेताओं से द्विपक्षीय बातचीत करेंगे। इनमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शामिल नहीं हैं। क्योंकि जिनपिंग से मुलाकात तय ही नहीं है।
• हालांकि, ब्रिक्स समिट के दौरान दोनों नेताओं की मुलाकात हो सकती है लेकिन द्विपक्षीय बातचीत नहीं होगी। इससे पहले चीन के विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा था कि भारत-चीन के मौजूदा तनाव के मद्देनजर शी जिनपिंग-मोदी मुलाकात के लिए हालात साजगार नहीं हैं।
• भारतीय विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा-प्रधानमंत्री मोदी अज्रेटीना, कनाडा, इटली, जापान, मैक्सिको, रिपब्लिक ऑफ कोरिया और ब्रिटेन के शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगे।
• जी-20 समिट शुक्रवार से हो रही है। इस दौरान दुनिया की 20 बड़ी इकोनॉमीज के नेता काउंटर टेरेरिज्म, क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल ट्रेड पर बातचीत करेंगे।
• ‘‘शेपिंग एन इंटर कनेक्टेड र्वल्ड जी-20 समिट की थीम रखी गई है। डोनाल्ड ट्रम्प, व्लादिमीर पुतिन, तुर्की के
राष्ट्रपति रिसेप तैयब एर्दोगन, फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैक्क्रां और ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा इसमें शामिल होंगी। मोदी बैठक के लिए बृहस्पतिवार शाम को हैम्बर्ग पहुंच गए।
• बता दें कि चीन सिक्किम-भूटान बॉर्डर पर सड़क बना रहा है। इसका भारत ने विरोध किया। इसी मामले को लेकर भारत-चीन में तनाव है।
*3. आर्थिक गलियारे से पाक को माल भेजेगा चीन*
• चीन अरबों डालर के चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से पाकिस्तान के लिए सड़क और रेल माल ढुलाई सेवा शुरू करने की योजना बना रहा है।
• नई लाइन चीन के उत्तर पश्चिमी गानसू प्रांत की राजधानी लानझोउ को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को जोड़ेगी और झिनजियांग उग्यूर स्वायत्त क्षेत्र के कासगर से गुजरेगी।
• सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ ने लानझोउ इंटरेनशनल ट्रेड एंड लाजिस्टिक्स पार्क के निदेशक शू चुनहुआ के हवाले से यह जानकारी दी। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि यह सेवा कब शुरू की जाएगी लेकिन इससे भारत की चिंता बढ़ सकती है।
• पिछले साल मई में लानझोउ और काठमांडो के बीच रेल और रोड मालढुलाई सेवा शुरू की गई थी। शू ने कहा कि माल ढुलाई सेवा का दक्षिण एशियाई देशों ने स्वागत किया है।वर्ष 2016 में चीन और नेपाल के बीच द्विपक्षीय व्यापार तीन अरब युआन (44 करोड़ डालर) का था और इस साल इस व्यापार के बढ़कर 10 अरब युआन तक पहुंचने की अनुमान है।
• पिछले दिसंबर में चीन ने 50 अरब डालर के चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के पश्चिमी मार्ग से निर्यात के लिए चीनी वस्तुओं का पहली व्यापारिक खेप शुरू की थी और इसे ग्वादर बंदरगाह के माध्यम से भेजा था। यह गलियारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के रास्ते जाता है।
*4. सीरिया पर रूस के साथ काम करने को तैयार अमेरिका*
• युद्धग्रस्त सीरिया में स्थिरता लाने के लिए अमेरिका ने पैरवी की है। विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने कहा कि उनका देश रूस के साथ मिलकर सीरिया में स्थिरता के लिए संयुक्त प्रयास करने को तैयार है। सीरिया में नो-फ्लाई जोन, संघर्ष विराम की निगरानी और मानवीय सहायता में समन्वय करने के मसलों पर चर्चा करना चाहते हैं।
• जर्मनी में इस हफ्ते होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले टिलरसन ने बयान में कहा, ‘अगर दोनों देश स्थिरता लाने के लिए मिलकर काम करें तो यह सीरिया का राजनीतिक हल निकालने का आधार बनेगा।’ हालांकि इस बयान में सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद के भविष्य को लेकर कोई जिक्र नहीं किया गया।
• अमेरिका असद को सीरिया में पिछले छह साल से जारी गृहयुद्ध के लिए जिम्मेदार ठहराता है और उसके इस्तीफे की मांग भी करता है। वाशिंगटन ने अप्रैल में असद सरकार पर रासायनिक हथियार का उपयोग करने का आरोप लगाया था। इसमें दर्जनों नागरिक मारे गए थे। इसके बाद अमेरिका ने सीरिया के एक एयरबेस को निशाना बनाया था।
• टिलरसन ने कहा कि रूस पर असद सरकार को रासायनिक हथियार से रोकने का दायित्व था। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के बीच जी-20 शिखर सम्मेलन में मुलाकात होने की उम्मीद है।
• इसमें चर्चा का मुद्दा सीरिया होगा। रूस असद का बड़ा सहयोगी है और सीरियाई सरकार को आतंकी संगठन आइएस और विद्रोहियों के खिलाफ कई मोर्चो पर मदद मुहैया कराता है। सीरिया में रूस और अमेरिका के अलग-अलग हस्तक्षेप से टकराव के हालात बन गए हैं।
*5. आधार को मिली वैश्विक मंच पर सराहना*
• दुनियाभर में समाज के गरीब और वंचित तबके तक सुविधाएं पहुंचाने और उनके वित्तीय समावेशन में सुधार लाने के लिए आंकड़ों और विश्लेषणात्मक आकलन के इस्तेमाल पर छिड़ी र्चचा के बीच भारत की आधार पण्राली को यहां सराहा गया।
• बैंकिंग सुविधाओं का विस्तार करने और नकदी का इस्तेमाल कम करने की दिशा में काम करने वाली जी20 देशों द्वारा वित्तीय सुधारों पर गठित एक नियंतण्र संस्था ने भारत की आधार पण्राली की इस मामले में प्रशंसा की है।
• वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी) ने बैंक प्रतिनिधि व्यवस्था (बीसी) में गिरावट की समस्या को समझने और उसका आकलन करने संबंधी अपनी प्रगति रिपोर्ट में कहा है कि इस संबंध में उसकी कार्रवाई योजना में अच्छी प्रगति हुई है लेकिन संख्या में गिरावट बनी हुई है।
• इसमें कहा गया है कि बैंकिंग सहयोगी के दायरे में आने वालों की संख्या में गिरावट आना अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता की बात है।बैंक प्रतिनिधि से आशय ऐसी व्यवस्था से है जिसमें दूसरे वित्तीय संस्थानों की तरफ से सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।
• यह अन्य वित्तीय संस्थानों की तरफ से जमा स्वीकार करता है और अन्य लेनदेन करता है। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय भुगतानों में आने वाली समस्या और कुछ भुगतनों के अंडरग्राउंड चैनलों के जरिए चलाए जाने के मुद्दों पर भी गौर किया गया। एफएसबी ने कहा कि इसका वित्तीय समावेश पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है और साथ ही वित्तीय पण्राली की स्थिरता पर भी प्र
भाव पड़ रहा है।
• एफएसबी ने इस संबंध में अपनी कार्य योजना को जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर सौंपा है। यह सम्मेलन यहां कल से शुरू हो रहा है। नरेन्द्र मोदी सहित दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के नेता इसमें पहुंच रहे हैं।
*6. वैश्विक आर्थिक वृद्धि का मुख्य केंद्र होगा भारत*
• भारत आने वाले दशक में वैश्विक आर्थिक वृद्धि का मुख्य केंद्र बिंदु होगा और यह चीन के मुकाबले आगे बना रहेगा।
• अमेरिका के हार्वर्ड विविद्यालय के एक शोध में यह निष्कर्ष सामने आया है। विविद्यालय के इस शोधपत्र में हालांकि आने वाले दशक में वैश्विक आर्थिक वृद्धि में लगातार सुस्ती का दौर जारी रहने की भी चेतावनी दी गई है।
• इसके मुताबिक वर्ष 2025 तक भारत और उगांडा 7.7 फीसद वार्षिक वृद्धि के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बने रहेंगे।
• हार्वर्ड विश्विद्यालय के अंतरराष्ट्रीय विकास केंद्र में शोधकर्ताओं द्वारा आर्थिक वृद्धि के बारे में प्रस्तुत अपने अनुमानों में कहा गया है वैश्विक आर्थिक गतिविधियों का मुख्य केंद्र बिंदु पिछले कुछ सालों के दौरान चीन से हटकर पड़ोसी देश भारत बन गया है।
• अगले एक दशक तक भारत ही आर्थिक गतिविधियों का मुख्य केंद्र बने रहने की संभावना है। शोधपत्र के मुताबिक आने वाले समय में उभरते बाजारों की वृद्धि की रफ्तार विकसित अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले तेज बने रहने का अनुमान है।
*7. पाक, अफगान सीमा पर स्थापित होंगे दो शक्तिशाली ट्रांसमीटर*
• केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान सीमा के नजदीक रहने वालों को रेडियो सुनने के लिए दो नए शक्तिशाली ट्रांसमीटर लगाने की घोषणा की है।
• विज्ञान भवन में आयोजित संघ शासित क्षेत्रों के अधिकारियों की बैठक को संबोधित करने हुए नायडू ने कहा कि नई तकनीक के सोलिड स्टेट डिजिटल ट्रांसमीटर दिल्ली में स्थापित किए जाएंगे। 100 किलोवाट के शक्तिशाली शार्टवेब ट्रांसमीटर होने के कारण इनकी पंहुच अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमावर्ती इलाकों तक होगी।
• कश्मीर घाटी में पाकिस्तानी रेडियो स्टेशन को ज्यादा सुना जाता है, क्योंकि उनकी पहुंच अच्छी है। सरकार चाहती है कि घाटी के लोग भारतीय रेडियो ही सुनें। नायडू ने कहा कि दोनों ट्रांसमीटर अगले महीने यानि अगस्त तक स्थापित कर दिए जाएंगे।
• अंडमान निकोबार में भी 100 वाट का एफएम ट्रांसमीटर, पुडुचेरी में 10 वाट का और दमन में 6 वाट का ट्रांसमीटर लगाया जाएगा ताकि स्थानीय लोगों को रेडियो सेवा उपलब्ध हो सके।
*8. जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों को गैरकानूनी घोषित करने से इनकार*
• उच्चतम न्यायालय ने भ्रष्टाचार से संबंधित चुनिंदा कानूनों के तहत नहीं, बल्कि सिर्फ आपराधिक दोषसिद्धी के मामलों में ही प्रत्याशियों को अयोग्य करार देने संबंधी जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों को गैरकानूनी घोषित करने के लिए दायर याचिका खारिज कर दी है।
• प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (1)(सी) और (ई) को गैरकानूनी और असंवैधानिक घोषित करने के लिए दायर याचिका खारिज कर दी, क्योंकि इसके तहत सिर्फ दोषसिद्धि तक ही अयोग्यता सीमित है।
• पीठ ने कहा, इस याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है। यह याचिका चेन्नई निवासी पीए जोसेफ ने दायर की थी।
• इसमें दावा किया गया था कि जनप्रतिनिधित्व कानून के इन प्रावधानों में आबकारी कानून, 1962 और विदेशी मुद्रा विनियमन कानून, 1973 जैसे कानूनों के तहत मिलने वाली सजा शामिल नहीं है।
• उन्होंने अन्नाद्रमुक (अम्मा) गुट के नेता टीटीवी दिनाकरन के खिलाफ 28 करोड़ का जुर्माना लगाने सहित फेरा के तहत मामलों का जिक्र करते हुए कानून के प्रावधान पर सवाल उठाया, जो उन्हें चुनाव लड़ने के अयोग्य नहीं करता है।
*9. भारत-अमेरिका-जापान करेंगे पनडुब्बीरोधी युद्धाभ्यास*
• ऐसे तनावपूर्ण वक्त में जब चीन से भारत की ठनी हुई है और चीनी पनडुब्बियां यदाकदा हिंद महासागर में देखी जा रही हैं, भारत-अमेरिका और जापान की नौसेनाएं संयुक्त रूप से पनडुब्बी रोधी युद्धाभ्यास को हिंद महासागर में वृहद रूप से अंजाम देने जा रही हैं।
• 10 जुलाई से हिंद महासागर में होने वाले मालाबार नामक युद्धाभ्यास के लिए तीनों सेनाओं ने पुरजोर तैयारी कर रखी है।
• अमेरिकी नौसेना का सुपर विमानवाही पोत यूएसएस- निमित्ज और जापानी हेलीकाप्टर कैरियर जेएस-जूमो भारत की ओर कूच कर चुके हैं, जो भारतीय नौसेना के विशाल विमानवाही पोत ‘‘आईएनएस-विक्रमादित्य के साथ मिलकर दुश्मन पनडुब्बी के हमले को नाकाम करने की अपनी समझ को मिलकर धार देंगे।
• मालाबार युद्धाभ्यास प्रतिवर्ष होता है और इस बार हिंद महासागर में इसका 21वां अध्याय होगा। इस युद्धाभ्यास पर दुनिया की निगाहें लगी होती हैं और इस बार का मालाबार तो ऐसे समय में हो रहा है, जब भारत और पड़ो
सी चीन के बीच सिक्किम में सीमा विवाद को लेकर मामला पूरी तरह गरम हो चुका है।
• ऐसे में एशिया ही नहीं बल्कि दुनियाभर में मालाबार युद्धाभ्यास को लेकर सभी देशों में उत्सुकता बनी हुई है। चीन हमेशा से ही भारत-अमेरिका और जापान के साथ होने वाले इस युद्धाभ्यास को लेकर अपनी भृकुटी टेढ़ी किए रहता है।
• भारत की तरह जापान और अमेरिका से भी चीन के सम्बन्ध तनावपूर्ण हैं। इस युद्धाभ्यास में शिरकत करने आ रहा जापानी नौसेना का हेलीकाप्टर कैरियर युद्धपोत जेएस-जूमो बहुत ही विशाल है और इसके साथ सपोर्टिग डेस्ट्रायर युद्धपोत साजानामी भी आ रहा है।
• इसी तरह अमेरिकी नौसेना का विशालतम विमानवाही पोत यूएसएस-निमित्ज भी अपने सपोर्टिग युद्धपोतों और उस पर तैनात लड़ाकू विमानों को लेकर हिंद महासागर की तरफ बढ़ रहा है। अमेरिकी नौसेना के बेड़े में लास एंजिल्स श्रेणी का फास्ट परमाणु चालित पनडुब्बी भी इस युद्धाभ्यास में भाग लेने के लिए भारत के समुद्र में आ रहा है।
• भारतीय नौसेना का फिलहाल इकलौता विमानवाही युद्धपोत आईएनएस- विक्रमादित्य (इसे रूस से क्रय किया गया था) तो इसमें भाग लेगा ही, कोलकाता श्रेणी डेस्ट्रायर स्टील्थ युद्धपोत, अमेरिका निर्मित समुद्री टोही विमान पी8आई, पनडुब्बीरोधी अटैक हेलीकाप्टर सी किंग के साथ-साथ भारतीय नौसेना की पनडुब्बियां भी इस युद्धाभ्यास में अपने कौशल को धार देंगी।
• नौसेना के एक अधिकारी ने कहा कि चीनी पनडुब्बियों को यदाकदा हिंद महासागर में देखे जाने के आलोक में मालाबार युद्धाभ्यास का महत्व बढ़ जाता है। इस युद्धाभ्यास को पनडुब्बीरोधी अभ्यास के रूप में केन्द्रित करने से भारतीय नौसेना को बहुत ही फायदा होगा और हम दुश्मन पनडुब्बी को मार गिराने के अपने रणकौशल को और बेहतर बना सकेंगे।
*10. देश में कमजोर है वनों की आनुवांशिक विविधता*
• जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए भारत समेत तमाम देश वनों के संरक्षण में जुटे हैं। भारत की बात करें तो हम विश्व में उन देशों की जमात में हैं जो वनों के बूते अधिक कार्बन सोखने और उसके बेहतर स्टॉक का दावा करते हैं, पर जिस तरह से जलवायु परिवर्तन का खतरा दिनोंदिन बढ़ रहा है उस स्थिति में हमारे वन उससे निपट भी पाएंगे, इस पर अब सवाल खड़े हो गए हैं।
• वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ) का ताजा अध्ययन बताता है कि देश के वनों की आनुवांशिक विविधता बेहद कमजोर है। देश के 120 वन क्षेत्रों में देवदार, बांज, चीड़ व शीशम के पेड़ों की जेनेटिक डायवर्सिटी (आनुवांशिक विविधता) के अध्ययन में यह हकीकत सामने आई।
• यह विविधता औसतन 0.50 पाई गई, जबकि यूरोपीय देशों व नेपाल में यह औसत 0.83 पाया गया।1एफआरआइ की जेनेटिक्स एंड ट्री प्रोपगेशन डिविजन के प्रमुख डॉ. एचएस गिनवाल के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए प्रमुख प्रजाति के पेड़ों की जेनेटिक डायवर्सिटी को जानना जरूरी था।
• इस मकसद से 2008 में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर व असम में अलग-अलग वनों पर अध्ययन शुरू किया गया। अब जेनेटिक डायवर्सिटी के जो नतीजे सामने आए हैं उसमें शीशम और बांज के पेड़ निचले पायदान पर पाए गए, जबकि देवदार की आनुवांशिक विविधता मध्यम और चीड़ की कुछ अपेक्षाकृत बेहतर पाई गई।
• हालांकि जब यूरोप व नेपाल की संबंधित वृक्ष प्रजातियों से इस विविधता की तुलना की गई तो स्पष्ट हो गया कि देश के वनों की प्रतिरोधक क्षमता बेहद कम है।
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