दैनिक समसामयिकी 08 July 2017(Saturday)

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दैनिक समसामयिकी 

08 July 2017(Saturday)

1.परमाणु हथियारों को बैन करने वाली संधि स्वीकार करेगा संरा

• परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध से संबद्ध वार्ताओं का बहिष्कार करने वाले अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस एवं अन्य परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों के विरोध के बावजूद संयुक्त राष्ट्र शुक्रवार को परमाणु हथियारों को प्रतिबंधित करने से संबद्ध एक वैश्विक  संधि को स्वीकार करने वाला है।
• समर्थक इस संधि को ऐतिहासिक उपलब्धि बता रहे हैं, लेकिन परमाणु हथियारों से लैस देशों ने इस प्रतिबंध को यथार्थ से परे बताते हुए इसे खारिज कर दिया है। उनकी दलील है कि 15,000 परमाणु हथियारों के वैश्विक जखीरे को कम करने पर इसका कोई प्रभाव नहीं होगा।
• ऑस्ट्रिया, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड के नेतृत्व में 141 देशों ने संधि को लेकर तीन सप्ताह चली वार्ताओं में हिस्सा लिया। यह संधि परमाणु हथियारों के विकास, उनके भंडारण या इनके इस्तेमाल की धमकी पर सम्पूर्ण प्रतिबंध लगाता है। बहरहाल, इसके पैरोकारों को उम्मीद है कि यह परमाणु सम्पन्न देशों को निशस्त्रीकरण के लिए और अधिक गंभीरता से दबाव डालने में इजाफा करेगा।
• इसे स्वीकार किए जाने की पूर्व संध्या पर कोस्टारिका की राजदूत एवं संधि को लेकर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की अध्यक्ष एलेन व्हाइट गोमेज ने कहा, यह ऐतिहासिक पल होगा। एलेन ने इसे मानवता के लिये जवाबदेही बताते हुए कहा, विश्व इस कानूनी मानदंड के लिए 70 वर्ष से इंतजार कर रहा है।
•  हालांकि परमाणु हथियार सम्पन्न नौ राष्ट्रों -अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इस्रइल में से किसी देश ने इन वार्ताओं में हिस्सा नहीं लिया। यहां तक कि वर्ष 1945 में परमाणु हमलों का दंश झेल चुके जापान ने भी इन वार्ताओं का बहिष्कार किया और अधिकतर नाटो देशों ने भी ऐसा ही किया।
• 27 मार्च को वार्ता शुरू होने पर अमेरिकी दूत निकी हेली इस प्रतिबंध के विरोध में यह कहकर सामने आई थीं कि परमाणु हथियार विहीन दुनिया की अपेक्षा मैं अपने परिवार के लिए और कुछ अधिक नहीं चाहती, लेकिन हमें यथार्थवादी होना पड़ेगा। उन्होंने पूछा, क्या ऐसा कोई है जो यह मानता हो कि उत्तर कोरिया परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध के लिए सहमत होगा।
• परमाणु हथियार सम्पन्न देशों की दलील है कि उनके ये हथियार परमाणु हमले के खिलाफ बचाव के लिए हैं और उन्होंने कहा कि वे परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।दशकों पुरानी एनपीटी में परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने पर जोर दिया गया है, साथ ही अपने परमाणु जखीरे में कमी लाने का दायित्व भी इन परमाणु सम्पन्न देशों पर है।
• संधि को अंगीकृत किए जाने के बाद 20 सितम्बर तक हस्ताक्षर प्रक्रिया होगी और 50 देशों की पुष्टि के बाद यह प्रभाव में आ जाएगा।संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिसम्बर में हुए मतदान के दौरान 113 देशों ने इस नई संधि पर वार्ता शुरू करने के पक्ष में मतदान किया था जबकि 35 देशों ने इसका विरोध किया था और 13 ने खुद को इससे अलग रखा था।

2. जी-20 सम्मेलन में मोदी ने की पाकिस्तान की जोरदार घेराबंदी : आतंक समर्थक देशों के लिए बंद करो दरवाजे

• भारत ने एक कड़े कदम के रूप में आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों के अधिकारियों और प्रतिनिधियों के जी 20 देशों में प्रवेश पर रोक लगाने का सुझाव दिया है।
• प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां रिट्रीट पर जुटे जी 20 देशों के नेताओं के समक्ष भारत का ग्यारह सूत्री एजेंडा पेश करते हुए आतंकवादियों तथा उनके समर्थकों के खिलाफ साझी कार्रवाई करने पर जोर दिया।
• उन्होंने कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों के विरुद्ध सख्त कदम उठाना अनिवार्य है ताकि वह ऐसी हरकतों से बाज आएं। इसलिए ऐसे देशों के अधिकारियों के जी 20 देशों में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना जरूरी है।
• मोदी ने संदिग्ध आतंकवादियों की सूची का सदस्य देशों के बीच आदान प्रदान तथा घोषित आतंकवादियों तथा उनके समर्थकों के विरुद्ध साझी कार्रवाई के तहत आतंकवादियों के प्रत्यर्पण जैसी कानूनी प्रक्रिया को सरल बनाने और उसमें तेजी लाने पर भी जोर दिया।
• पाक पर निशाना साधा : मोदी ने पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तय्यबा और जैश-ए-मोहम्मद का नाम लेते हुए और पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ देश राजनीतिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आतंकवाद का एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते हैं।
• उन्होंने जी-20 शिखर बैठक को संबोधित करते हुए लश्कर और जैश की तुलना आईएसआईएस और अलकायदा से की और कहा कि इनके नाम भले ही अलग हों, लेकिन इनकी विचारधारा एक है।
• पेरिस समझौते की आम सहमति को लागू करना अनिवार्य : प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन को लेकर हुए पेरिस समझौते की आम सहमति को लागू करना अनिवार्य है।
• मोदी ने साथ ही कहा कि भारत समझौते को अक्षरश: लागू करेगा। उन्

होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद के मुद्दों पर ब्रिक्स देशों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
• संरक्षणवाद पर एक स्वर में बोले जी 20 : मोदी ने कुछ विकसित देशों द्वारा संरक्षणवाद को बढ़ावा दिए जाने के मद्देनजर चेताते हुए कहा कि नियंतण्रीकरण से संरक्षणवाद का खतरा पैदा हुआ है और मुक्त अवधारणा को बनाए रखने तथा सहयोग के लिए जी 20 को एक स्वर में बोलना चाहिए।
• कोरियाई प्रायद्वीप के हालात पर चिंता जताई : पीएम मोदी ने कहा कि खाड़ी क्षेत्र, पश्चिम एशिया और कोरियाई प्रायद्वीप में भू-राजनीतिक हालात चिंता के विषय हैं। उन्होंने युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान में आतंकवाद के बढ़ते प्रभाव पर भी चिंता जाहिर की।

3. पीएम मोदी ने की ब्रिक्स रेटिंग एजेंसी की वकालत, कहा-आर्थिक संतुलन जरूरी

• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स क्रेडिट रेटिंग एजेंसी की स्थापना के लिए तेजी से कदम बढ़ाने की वकालत की है। वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में टिकाऊ सुधार के लिए सामूहिक प्रयासों पर जोर दिया है। मोदी यहां जी20 सम्मेलन से इतर ब्रिक्स लीडर्स की अनौपचारिक मुलाकात के दौरान बोल रहे थे।
• उन्होंने वैश्विक वित्तीय संस्थानों में प्रतिनिधित्व का मुद्दा उठाया। कहा कि वर्ल्ड बैंक और इंटरनेशनल मुद्रा कोष (आईएमएफ) में मौजूदा आर्थिक संतुलन नजर आना चाहिए। इसके लिए इन संस्थानाें में कोटा सुधार जरूरी है। हमें सुनिश्चित करना होगा कि इनमें आर्थिक संतुलन नजर आए।'
• मोदी के मुताबिक ब्रिक्स समूह दुनिया में स्थिरता, रिफॉर्म, प्रगति और गुड गवर्नेंस का प्रदर्शन करता है। उसे वैश्विक मंच पर स्थिरता, रिफॉर्म, प्रगति और गवर्नेंस की आवाज बनना चाहिए। इसी के साथ उन्होंने ब्रिक्स क्रेडिट रेटिंग एजेंसी की स्थापना में तेजी लाने का आह्वान किया।
• पिछले साल ब्रिक्स देशों के बीच ग्लोबल गवर्नेंस को मजबूत बनाने के प्रयासों के तहत स्वतंत्र क्रेडिट रेटिंग एजेंसी की स्थापना पर सहमति बनी थी। ब्रिक्स समूह के सदस्य देशों में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।
• ये ब्रिक्स देश न्यू डेवलपमेंट बैंक की स्थापना कर चुके हैं। सदस्य देशों की फंडिंग की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस बैंक ने पिछले साल से काम करना शुरू कर दिया है।
• सदस्य देशों को मिलकर करना होगा काम : मोदीने कहा कि ग्लोबल इकोनॉमिक रिकवरी को टिकाऊ बनाए रखने के लिए सदस्य देशों को मिलकर काम करना होगा। इसका असर पूरी दुनिया पर दिखेगा।
• उन्होंने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के मुक्त और खुली व्यापार व्यवस्था को समर्थन देने की जरूरत को रेखांकित किया। कहा कि हम सामूहिक रूप से संरक्षणवाद के खिलाफ हैं खासकर नॉलेज, टेक्नोलॉजी और स्किल्ड प्रोफेशनल्स के मूवमेंट से जुड़ी पाबंदियों को लेकर।'
• प्रधानमंत्री ने कहा, 'एक ओर विश्व अर्थव्यवस्था की रफ्तार में सुधार दिख रहा है। वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था तेज गति से बढ़ रही है। इस साल देश की जीडीपी विकास दर 7 फीसदी से अधिक दर्ज होने की संभावना है। भारत का सुधारों का एजेंडा लगातार प्रगति पर है।'
• उन्होंने पिछले हफ्ते से देशभर में लागू हुए गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (जीएसटी) पिछले 70 साल का सबसे बड़ा सुधार बताया। कहा कि इससे देश में कारोबार करना आसान हो गया है और करीब 130 करोड़ की आबादी देश एक बाजार बन गया है।

4. छोटी-सी मुलाकात में मोदी और चिनफिंग ने एक-दूसरे को सराहा

• चीन के इन्कार के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच मुलाकात हो ही गई। शुक्रवार को जर्मनी के हैम्बर्ग में जी-20 सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे मोदी और चिनफिंग के बीच अनौपचारिक तौर पर ही सही, लेकिन अच्छे माहौल में बातचीत हुई।
• मुलाकात के वक्त चिनफिंग अपने तमाम आला अधिकारियों के साथ थे। मोदी भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव एस जयशंकर समेत अन्य अधिकारियों के साथ थे। विदेश मंत्रलय के अधिकारियों के मुताबिक, मुलाकात ज्यादा देर तो नहीं चली। लेकिन, कई अहम मुद्दों पर दोनों नेताओं ने चर्चा की।
• इसके पहले सुबह में ब्रिक्स देशों के शीर्ष नेताओं की बैठक में भी दोनों एक-दूसरे के साथ बैठे और एक-दूसरे की जमकर तारीफ भी की। यह बैठक ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की तैयारियों को लेकर बुलाई गई थी।
• इस साल इसका मेजबान चीन है। शुक्रवार की बैठक में मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति शी की अध्यक्षता में ब्रिक्स की गतिशीलता और सकारात्मक बदलाव ने हमारे आपसी सहयोग को और गहरा दिया है। मोदी ने राष्ट्रपति शी को आने वाले ब्रिक्स सम्मेलन के लिए पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया।
• चीन के राष्ट्रपति ने भी मोदी के नेतृत्व में ब्रिक्स को मजबूत बनाने के लिए भारत के प्रयासों की तारीफ की। चीन में ब्रिक्स र सम्मेलन की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और गृह मंत्री राजनाथ सि

ंह को भी जल्द ही वहां जाना है।
• मोदी और चिनफिंग के बीच सीमा को लेकर चल रहे विवाद पर बातचीत हुई है या नहीं, यह साफ नहीं है। लेकिन दोनो नेताओं के चेहरे पर मौजूदा सीमा विवाद का कोई तनाव नहीं था।

5. खटाई में पड़ सकता है तुर्की का यूरोपीय संघ का सपना

• तुर्की का यूरोपीय संघ (ईयू) में शामिल होने का सपना खटाई में पड़ सकता है। यूरोपीय संसद ने एक प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति रिसेप तैयप एदरेगान की शक्तियां बढ़ाने की स्थिति में तुर्की को ईयू में शामिल करने के लिए चल रही बातचीत रोकने को कहा है। तुर्की ने इसे दोषपूर्ण और गलत करार करते हुए खारिज किया है।
• तुर्की में पिछले साल जुलाई में सैन्य तख्ता पलट की नाकाम कोशिश के बाद एदरेगान की शक्तियां बढ़ाने के लिए सुधार प्रक्रिया शुरू की गई है। इसी का नतीजा है कि तुर्की के राष्ट्रपति दोबारा सत्तारूढ़ एके पार्टी का नेतृत्व करने के योग्य हो गए हैं। इसके तहत प्रधानमंत्री का पद समाप्त करने की योजना है।
• यूरोपीय देशों और तुर्की के बीच पिछले कुछ दिनों में रिश्ते काफी तल्ख हुए हैं। ईयू नेता एदरेगान के व्यवहार को लेकर पहले से ही सशंकित रहे हैं।
• हालांकि, तुर्की के राष्ट्रपति ने विरोधियों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई और राष्ट्रपति की शक्तियों में वृद्धि का बचाव किया है। बकौल एदरेगान, देश की सुरक्षा को देखते हुए बदलाव जरूरी हो गया है।
• ईयू संसद द्वारा पारित प्रस्ताव में कहा गया है, ‘संवैधानिक सुधार को मौजूदा स्वरूप में लागू करने की स्थिति में यूरोपीय आयोग और सदस्य देशों को तुर्की के साथ चल रही वार्ता को अविलंब रोक देना चाहिए।’ मालूम हो कि इस मामले में संसद के अधिकार सीमित हैं।
• कुछ बदलावों को अप्रैल में लागू किया जा चुका है, जबकि कुछ प्रावधान दो साल के अंदर अमल में आएंगे। विपक्षी दल और मानवाधिकार संस्थाओं ने बदलावों को न्यायिक स्वतंत्रता के लिए खतरा बताया है। साथ ही एदरेगान के कदम को तुर्की को एक व्यक्ति के शासन की ओर धकेलने का प्रयास करार दिया है।
• तुर्की पर यूरोपीय संघ के वार्ताकार कटी पीरी ने कहा कि यूरोपीय आयोग और सदस्य देशों की मौजूदा नीति तुर्की की स्थिति में सुधार होने तक इंतजार करने की है। उन्होंने इसे एदरेगान की तानाशाही को बढ़ावा देने वाला करार दिया है।
• तुर्की ने प्रस्ताव को किया खारिज : तुर्की के ईयू मामलों के मंत्री उमर सेलिक ने यूरोपीय संसद द्वारा पारित प्रस्ताव को अमान्य बताते हुए खारिज कर दिया है।

6. गंगा-यमुना को ‘इंसानी दर्जे’ पर सुप्रीम कोर्ट का स्टे

• गंगा, यमुना नदियों को फिलहाल ‘जीवित व्यक्ति’ का दर्जा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इन्हें ‘इंसानी’ दर्जा देने के नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। साथ ही उत्तराखंड सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया।
• उत्तराखंड सरकार ने गंगा, यमुना को इंसानी दर्जा और कानूनी हक देने के हाई कोर्ट के गत 20 मार्च के आदेश को रद करने की मांग की है। राज्य सरकार ने व्यवहारिक दिक्कतें गिनाते हुए अदालत से आदेश पर एकतरफा अंतरिम रोक लगाने की भी मांग की थी।
• शुक्रवार को वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रrाण्यम व फारुख रशीद ने दलील दी कि हाई कोर्ट ने क्षेत्रधिकार से बाहर जाकर आदेश पारित किया है। हाई कोर्ट से ऐसी कोई मांग नहीं की गई थी, बल्कि सिर्फ अवैध निर्माण हटवाने की मांग थी।
• सुप्रीम कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया।
• प्रदेश सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि इसमें तनिक संदेह नहीं है कि भारत में गंगा, यमुना और उसकी सहयोगी नदियों का सामाजिक प्रभाव और महत्व है। ये नदियां लोगों और प्रकृति को जीवन और सेहत देती हैं, लेकिन सिर्फ समाज के विश्वास और आस्था को बनाए रखने के लिए गंगा, यमुना को जीवित कानूनी व्यक्ति नहीं घोषित किया जा सकता।
•  हाई कोर्ट ने आदेश पारित कर भूल की है। आदेश के संभावित परिणामों और दिक्कतों का जिक्र करते हुए कहा है कि गंगा, यमुना अंतरराज्यीय नदियां हैं। संविधान की सातवीं अनुसूची के आइटम 56 में अनुच्छेद 246 के मुताबिक, अंतरराज्यीय नदियों के प्रबंधन पर नियम बनाने का अधिकार सिर्फ केंद्र को है।
•  ऐसे में उत्तराखंड राज्य गंगा, यमुना को जीवित व्यक्ति का दर्जा कैसे दे सकता है? किसी अन्य राज्य में इन नदियों के बारे में अगर कोई कानूनी मुद्दा उठता है तो क्या उत्तराखंड का मुख्य सचिव दूसरे राज्य या केंद्र को निर्देश जारी कर सकता है?
• नदियों को जीवित व्यक्ति का दर्जा देने से अगर उन नदियों में बाढ़ आदि आती है और किसी का नुकसान होता है तो वह व्यक्ति मुख्य सचिव के खिलाफ नुकसान की भरपाई का मुकदमा दाखिल कर सकता है।
• क्या राज्य सरकार को ऐसा आर्थिक बोझ वहन करना चाहिए?
• मालूम हो, उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए गंगा और यमुना तथ

ा उसकी सहयोगी नदियों को संरक्षित करने के लिए जीवित व्यक्ति का दर्जा दिया था।
• इन नदियों को इंसानों के समान सभी कानूनी अधिकार दिए थे। हाई कोर्ट ने नमामि गंगे के निदेशक, उत्तराखंड के मुख्य सचिव व उत्तराखंड के एडवोकेट जनरल को इन नदियों का संरक्षक नियुक्त करते हुए उन्हें इनके संरक्षण की जिम्मेदारी दी थी।

7. संवैधानिक पीठ करे आधार मसलों पर फैसला

• उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि आधार से जुड़े सभी मुद्दों पर उसकी संवैधानिक पीठ को फैसला करना चाहिए। न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने पक्षों से कहा कि वे प्रधान न्यायाधीश से आधार से जुड़े मुद्दों पर फैसला करने के लिए संवैधानिक पीठ का गठन करने का आग्रह करें। पीठ में न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा भी शामिल हैं।
• पीठ ने कहा, हम आप दोनों (याचिकाकर्ताओं और केंद्र) को प्रधान न्यायाधीश से एक वृहद पीठ का गठन करने का आग्रह करने का सुझाव देंगे ताकि इन मामलों पर आखिरकार निर्णय लिया जा सके। याचिकाकर्ताओं की ओर से अटॉर्नी जनरल केके. वेणुगोपाल और वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि वे प्रधान न्यायाधीश के समक्ष मामले को रखेंगे और उनसे आधार से जुड़े मामलों की सुनवाई करने के लिए एक संवैधानिक पीठ का गठन करने का अनुरोध करेंगे।
• अवकाशकालीन पीठ ने 27 जून को केंद्र की उस अधिसूचना के खिलाफ अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया था जिसमें सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार को अनिवार्य बनाया गया है। सरकार ने आास्त किया था कि कोई भी व्यक्ति आधार से वंचित नहीं रहेगा।
• ‘अदालत ने कहा था कि याचिकाकर्ताओं द्वारा जताई गई केवल इस आशंका पर अंतरिम आदेश नहीं दिया जा सकता कि कोई व्यक्ति आधार कार्ड न होने पर विभिन्न समाज कल्याण योजनाओं के लाभों से वंचित हो सकता है।

8. अब इजरायली तजुर्बे से लहलहाएगी घरेलू खेती

• कृषि क्षेत्र में के रास्ते खोलने के लिए इजरायल के साथ हुआ समझौता बेहद मुफीद साबित होगा। फसलों की उत्पादकता बढ़ाकर खेती को घाटे से उबारने में यह पहल कारगार होगी। सीमित संसाधनों के बीच अपनी टेक्नोलॉजी के तजुर्बे के बूते खेती को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाले इजरायल का सहयोग मिलेगा।
• दोनों देशों के बीच कृषि व उससे जुड़े उद्यम को लेकर हुए समझौते में उन अहम पहलुओं को विशेष महत्व दिया गया है, जिनके चलते खेती कमजोर है।
• समझौते में घरेलू कृषि श्रृंखला की कमजोर कड़ियों को मजबूत बनाने की कोशिश पर विशेष जोर दिया गया है। खेत से कृषि उपज को खलिहान के रास्ते गोदाम तक पहुंचने में भारी नुकसान होता है। इसके लिए पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट पर समझौता किया गया है।
• इसमें भी सबसे जल्दी ही खराब होने वाली उपज फूल, फल और सब्जियों को रखा गया है। कोल्ड चेन के अभाव में सबसे ज्यादा नुकसान इन्हीं फसलों को होता है।
• प्रति बूंद पानी से अधिक पैदावार (पर ड्राप, मोर क्राप) करने की मंशा को सफल बनाने के लिए माइक्रो सिंचाई में इजरायली टेक्नोलॉजी बहुत कारगर होगी। बूंद-बूंद जल से सिंचाई और स्प्रिंकल सिंचाई के मामले में इजरायल अव्वल है।
• समझौते में इसे खास अहमियत दी गई है। घरेलू खेती में गुणवत्ता वाले नए बीज खेतों तक पहुंचाना एक बड़ी समस्या है। घरेलू कृषि संस्थानों व विश्वविद्यालयों में नए बीजों को तैयार करने में इजरायली वैज्ञानिक मदद करेंगे।
• प्लांट प्रॉटक्शन (पादप संरक्षा) के क्षेत्र में भारतीय कृषि को नई टेक्नोलॉजी की सख्त जरूरत है। बैक्टीरिया और वायरस के चलते यहां फसलों और मवेशियों में ढेर सारी बीमारियां फैलती हैं। इससे हर साल भारी क्षति हो रही है। भारतीय कृषि वैज्ञानिकों को इजरायल के वैज्ञानिक मदद करेंगे।
• पोलिनेशन टेक्नोलॉजी (परागण प्रौद्योगिकी) को लेकर दोनों देशों के बीच परस्पर मदद के लिए समझौता हुआ है। इस तजुर्बे से पराग वाली फसलों की उत्पादकता में 40 से 60 फीसद तक की वृद्धि दर्ज की जा सकती है।
• कृषि क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता बढ़ाने की टेक्नोलॉजी पर विशेष जोर दिया गया है। सिंचाई के लिए पानी की लगातार कमी हो रही है, जिसे पूरा करने के लिए इजरायल की उम्दा जल तकनीक व प्रबंधन हमारे काम आ सकता है। इसमें पानी का दोबारा उपयोग खास है। इजरायल में 75 फीसद पानी साफ कर दोबारा उपयोग में लाया जाता है।
• समझौते में शामिल इन प्रमुख पहलुओं के अलावा दोनों देशों के सदस्यों की एक संचालन समिति गठित की जाएगी। समिति इसके अलावा कुछ क्षेत्रों को भी इसमें शामिल कर सकती है।
• यह समझौता 2018 से 2020 की अवधि के लिए किया गया है। समझौते को अंतिम रूप देने के लिए 10 मई 2017 को यरुशलम में दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच लंबा गहन विचार-विमर्श किया गया था।
• इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन दिवसीय इजरायल दौरे के समय अंतिम रूप दिया गया। भारत के कई राज्यों में इजरायल के स

ेंटर आफ एक्सलेंस स्थापित किए गए हैं। उनके उत्साहजनक नतीजे मिल रहे हैं, लेकिन इसका लाभ फिलहाल सीमित क्षेत्रों को ही मिल रहा है।
• अब इन सेंटरों की संख्या और दायरा बढ़ाने में मदद मिलेगी। फिलहाल ये सेंटर हरियाणा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, राजस्थान, पंजाब, गुजरात और कर्नाटक में खुले हुए हैं।

9. विरोध के बीच जम्मू-कश्मीर में भी जीएसटी लागू

• लंबी जद्दोजहद के बाद शुक्रवार की आधी रात के बाद पूरे जम्मू-कश्मीर में भी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिनियम लागू हो गया। शुक्रवार को विपक्ष के बायकाट के बावजूद जीएसटी अधिनियम 2017 को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इसके साथ ही विधानमंडल के दोनों सदनों का सत्र भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया।
• पूरे देश में यह कर व्यवस्था पहली जुलाई 2017 से ही लागू है। जम्मू-कश्मीर इस व्यवस्था को अपनाने वाला देश का अंतिम राज्य है, क्योंकि धारा 370 के कारण यहां कोई भी केंद्रीय कानून राज्य विधानसभा की अनुमति और बिना राष्ट्रपति के आदेश के लागू नहीं हो सकता।
• विधानमंडल के दोनों सदनों विधानसभा और विधानपरिषद में वित्त मंत्री डॉ. हसीब द्राबू ने जम्मू-कश्मीर वस्तु एवं सेवा कर बिल 2017 को पेश किया। विपक्ष की गैर हाजिरी में सत्तापक्ष ने इसे ध्वनिमत से पारित किया।
• बरकरार रहेंगी राज्य की शक्तियां : वित्त मंत्री डॉ. हसीब द्राबू ने जीएसटी बिल पेश करने से पहले सदन को बताया कि राष्ट्रपति के आदेश में अनुच्छेद 370 में शामिल सभी आवश्यक सुरक्षा उपायों को यकीनी बनाया गया है।
• द्राबू ने कहा, ‘राष्ट्रपति के आदेश में संवैधानिक सुरक्षा उपायों का समावेश इस सरकार के जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति की रक्षा के हमारे संकल्प को कायम करता है।’
• उन्होंने कहा ‘विपक्ष ने दावा किया था कि जम्मू-कश्मीर की वित्तीय स्वायत्तता से समझौता किया जाएगा और भारतीय संविधान के तहत राज्य की विशेष स्थिति कम हो जाएगी।
• राष्ट्रपति के आदेश ने हमारे संवैधानिक, आर्थिक और प्रशासनिक शक्तियों की सुरक्षा के द्वारा जम्मू-कश्मीर विधानसभा की पवित्रता का सम्मान किया है।

10. एनपीए से लड़ाई में केंद्र व कंपनियां आमने-सामने

• फंसे कर्जे (एनपीए) के खिलाफ सरकार की नई कोशिश एक लंबी व उलझी हुई कानूनी प्रक्रिया में फंसती दिख रही है। एक बड़ी रसूखदार कर्जदार कंपनी एस्सार स्टील की संपत्ति को बेचकर कर्ज वसूलने की सरकार की मुहिम को गुजरात हाई कोर्ट के अंतरिम रोक से धक्का पहुंचा है।
• कुछ और कंपनियों ने भी एस्सार स्टील की राह चुनने के संकेत दिए हैं। वे भी दूसरी अदालतों के दरवाजे पर दस्तक देने की योजना बना रही है।
• सरकार भी यह समझ चुकी है कि मामला अदालतों में उलझने जा रहा है। ऐसे में वित्त मंत्रलय भी आगे की रणनीति बनाने में जुट गया है। वित्त मंत्रलय के अधिकारी बताते हैं कि वे पहले से ही मान कर चल रहे हैं कि कई मामले अदालत में जाएंगे। उसी हिसाब से तैयारी भी चल रही है।
• नेशनल कंपनी लॉ टिब्यूनल यानी एनसीएलटी से आग्रह किया गया है कि वह हर मामले पर जल्दी से निर्णय करने की व्यवस्था करे। यही नहीं, सरकार ने मौजूदा चयनित 12 कंपनियों के अलावा भी चार दर्जन अन्य बड़े खाताधारकों के खिलाफ कार्रवाई की रूपरेखा तैयार कर रही है। लेकिन असली कदम मौजूदा 12 कंपनियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के परिणामों को देखते हुए उठाए जाएंगे।
• सूत्रों के मुताबिक एस्सार स्टील की तरफ से हाई कोर्ट में दी गई दलीलें काफी महत्वपूर्ण है। सरकार को आगे की रणनीति बनाने में इन बातों को ध्यान में रखना होगा। मसलन, एस्सार स्टील की तरफ से यह मुद्दा उठाया गया है कि जब 500 कंपनियों पर कर्ज बकाया है, तो उसकी जैसी कुछ कंपनियों के खिलाफ अलग से कार्रवाई कैसे की जा सकती है।
• साथ ही उसने यह भी कहा है कि जिन बैंकों ने उसे कर्ज दिया था जब वे बकाया कर्ज की राशि के समायोजन करने और कंपनी को नए सिरे से भुगतान की अवधि देने को तैयार हैं तो फिर सरकार और आरबीआइ उसकी संपत्तियों को बेचने का फैसला कैसे कर सकते हैं?
• अब यह देखना दिलचस्प होगा कि रिजर्व बैंक और सरकार की तरफ से इसका क्या जवाब दिया जाता है। इससे एनपीए के खिलाफ सरकार की आगे की लड़ाई का रुख तय होगा।

11. पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री बनाने की तैयारी

• रिजर्व बैंक (आरबीआइ) लोन डिफॉल्ट घटाने, कर्ज संस्कृति को बेहतर बनाने और वित्तीय समावेश को प्रोत्साहित करने के लिए पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री (पीसीआर) बनाने पर विचार कर रहा है।
• इसके लिए एक उच्चस्तरीय कार्यबल गठित किया जाएगा। यह टास्क फोर्स पीसीआर के लिए रोडमैप तैयार करेगा। इसकी पैरवी करते हुए आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा कि भारत में पारदर्शी और व्यापक पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री बनाना समय की मांग है।
• इसका फायदा छोटे और मझोले कारोबारियों व उद्यमियों को मिलेगा।1विरल ने यहां सांख्यिकी दिवस पर हुए कार्यक्रम में कहा कि ऐसे

रजिस्टर तैयार होने से कर्ज बाजार की कुशलता बेहतर होगी, वित्तीय समावेश बढ़ेगा, कारोबार करना सुगम होगा और अपराधों पर लगाम लगेगी।
• विरल के अनुसार, ‘उम्मीद है कि हम इस मामले को तरजीह देते हुए एक उच्चस्तरीय कार्यबल गठित करेंगे, जो शक्तिशाली क्रेडिट सूचना प्रणाली विकसित करने के लक्ष्य को पाने के लिए रोडमैप प्रदान कर सकेगा।
• यह है पीसीआर व्यवस्था : आमतौर पर पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री यानी पीसीआर का प्रबंधन केंद्रीय बैंक या बैंकिंग पर्यवेक्षक के हाथ में होता है। कानून के तहत कर्जदाताओं या कर्जदारों के लिए लोन विवरणों की सूचना पीसीआर को देना अनिवार्य बना दिया जाता है।
• इसके होंगे कई फायदे : अगर यह पीसीआर व्यवस्था भारत में लागू की जाती है, तो इससे बैंकों की ओर से क्रेडिट के आकलन और दर निर्धारण में मदद मिलेगी। इसके अलावा नियामकों के लिए निगरानी करना और पहले ही दखल देना आसान बन जाता है।
• पीसीआर से यह भी समझने में मदद मिलेगी कि क्या मौद्रिक नीति सही काम कर रही है। अगर ठीक से काम नहीं कर रही है तो बाधाएं कहां पर हैं और समस्याग्रस्त कर्जो को कारगर तरीकों से कैसे रीस्ट्रक्चर किया जा सकता है। इसका फायदा छोटे व मझोले कारोबारियों और उद्यमियों को मिलेगा।
• फिलहाल बड़े कर्जदारों को लोन बाजार में तरजीह मिलती है, क्योंकि उनकी क्रेडिट हिस्ट्री, ब्रांड वैल्यू और जमानती प्रतिभूतियों की जानकारी आसानी से उपलब्ध होती है।

12. एलएचसी ने खोजा दोहरे आवेश वाला विशेष कण

• स्विट्जरलैंड में ईश्वरीय कण की खोज में लगी लार्ज हेड्रॉन कोलाइडर (एलएचसी) प्रयोगशाला में एक विशेष कण खोजा गया है। इस कण की संरचना अन्य सामान्य कणों से अलग है। इस दोहरे आवेश वाले कण को एक्सआइसीसी नाम दिया गया है।
• इस प्रयोग से जुड़े वैज्ञानिकों ने बताया कि किसी कण की सबसे छोटी ज्ञात इकाई क्वार्क होती है। क्वार्क के मुख्यत: दो प्रकार अप और डाउन होते हैं। इसके अतिरिक्त इसका एक भारी स्वरूप होता है, जिसे चार्म क्वार्क कहा जाता है।
• परमाणु के नाभिक में रहने वाले प्रोटॉन और न्यूट्रॉन अप और डाउन क्वार्क से ही बने होते हैं। प्रोटॉन मंक दो अप क्वार्क और एक डाउन क्वार्क होता है और इस पर एक धन आवेश रहता है। वहीं न्यूट्रॉन में एक अप और दो डाउन क्वार्क होते हैं और इसका आवेश शून्य रहता है।
• नए खोजे गए कण में आश्चर्यजनक रूप से दो चार्म क्वार्क पाया गया है और इस पर दो धन आवेश मिला है। दशकों पहले दो भारी क्वार्क वाले कण की परिकल्पना की गई थी, लेकिन उसका कोई प्रमाण नहीं मिला था।
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